यूपी के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की कवायद पूरे जोरों से चल रही है। भारतीय जनता पार्टी की वैचारिक सलाहकार सलाहकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अन्य संगठनों ने अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की योजना तैयार कर ली है। इस पूरी योजना को चार चरणोें में पूरा किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक पर जनवरी 2019 में सुनवाई होगी। इस विवाद में तीन मुख्य पक्षकार हैं। पहले स्वयं रामलला, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा सुन्नी वक़्फ बोर्ड। इन तीनों ने ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के साल 2010 के विवादित भूमि के बंटवारे के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए बीते दो दशकों में भी कभी इस जोरदार तरीके से आवाज नहीं उठाई गई थी। अब राजनीतिक नेताओं ने भी सरकार के द्वारा अध्यादेश लाने की संभावना पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इसीलिए रविवार यानी 25 नवंबर, 2018 को विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवकपुरम के पास विशाल धर्म सभा का आयोजन किया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर आरएसएस ने सरकार को अध्यादेश लाने पर बाध्य करने के लिए जमीनी राजनीतिक वास्तविकता का गहन अध्ययन किया है। आरएसएस ने इस मामले के सभी हिस्सेदारों से बातचीत करने के बाद ही खाका तैयार किया है। आरएसएस ने तय किया है कि वह विश्व हिंदू परिषद ही चार चरणों वाले इस आंदोलन का नेतृत्व करेगा। साधु-संतों की अगवानी के कारण ही इस आंदोलन को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष दिखाने की तैयारी है।
रिपोर्ट मेें बताया गया है कि पहला चरण 25 नवंबर को शुरू होगा जब विहिप देश की 153 विभिन्न जगहों पर छोटी-बड़ी सभाओं का आयोजन करेगी। इस दौरान देश के तीन बड़े शहरों में भव्य आयोजन किए जाएंगे। जिनमें लाखों लोग शिरकत करेंगे। ये आयोजन अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरु में होंगे। जबकि छोटी जनसभाएं 150 अन्य स्थानों पर आयोजित की जाएंगी।
दूसरे चरण में संसद में कानून लाने के लिए सरकार पर विहिप और संतों के द्वारा दबाव बनाया जाएगा। विहिप और साधु-संत संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को ज्ञापन भेजेंगे। जबकि केंद्र ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह राम मंदिर के निर्माण के लिए कोई अध्यादेश या कानून लाने वाली है। संकेत ये हैं कि भाजपा, आरएसएस के विचारक और राज्य सभा सांसद आरके सिन्हा के द्वारा लाए गए निजी बिल का समर्थन करेगी।
तीसरे चरण में देखने वाला नजारा पेश किया जाएगा। आरएसएस और विहिप की योजना है कि आगामी 9 दिसंबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जाए। इस जनसभा के लिए विहिप और उसके अनुषांगिक संगठन उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 20 जिलों से भीड़ जमा करेंगे। ये जनसभा संसद के शीतकालीन सत्र से दो दिन पहले आयोजित की जाएगी।
चौथा चरण 18 दिसंबर को शुरू होगा और 27 दिसंबर तक चलेगा। विहिप इस दौरान पूरे देश में राम मंदिर के लिए कानून की मांग को लेकर हवन और प्रार्थना सभाओं का आयोजन करेगी। सूत्रों के मुताबिक, इस ब्लूप्रिंट का एक प्लान बी भी है। अगर किसी कारणवश सरकार अध्यादेश लाने या फिर कानून बनाने में विफल रहती है तो संघ और विहिप 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रयागराज में होने वाली धर्म संसद में जाएंगे। यहां उम्मीद है कि मंदिर निर्माण के लिए अंतिम आंदोलन का ऐलान करेगी।
शीर्ष विहिप नेताओं का यह भी कहना है कि अगर किसी भी हालत में विफलता मिली तो आंदोलन 1990 के आंदोलन से भी बड़ा और भयावह होगा। राम मंदिर के निर्माण के लिए आह्वान अपने अंतिम छोर पर पहुंच चुका है। शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे अयोध्या में शनिवार (24 नवंबर) को पहुंच चुके हैं। ठाकरे अब सरकार को भी आखिरी चेतावनी दे चुके हैं। पूरा अयोध्या शहर भगवा रंग और झंडों से पाट दिया गया है।