राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने सोमवार को कहा कि वह इस वर्ष 2 अक्टूबर को नागपुर में विजयादशमी उत्सव के दौरान अपने शताब्दी समारोह का शुभारंभ करेगा। ये समारोह 1925 में डॉ. के. बी. हेडगेवार द्वारा संगठन की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, विदर्भ प्रांत संघचालक दीपक तमशेट्टीवार और नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया ने नागपुर के रेशिमबाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने घोषणा की कि इस विजयादशमी से अगली (2025-2026) तक, संघ एक शताब्दी वर्ष मनाएगा, जिसमें डॉ. हेडगेवार के आवास पर 17 सहयोगियों के साथ एक छोटी सी बैठक से लेकर आज 83,000 से अधिक शाखाओं वाले एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में इसके विकास पर प्रकाश डाला जाएगा।

तीन भव्य पथ संचलन आयोजित करेगा आरएसएस

आरएसएस शताब्दी समारोह के तहत 27 सितंबर शनिवार को एक साथ तीन भव्य पथ संचलन आयोजित करेगा। ये पथ संचलन शाम 7 बजे नागपुर के तीन स्थानों (कस्तूरचंद पार्क, यशवंत स्टेडियम और अमरावती रोड स्थित भारतीय हॉकी मैदान) से शुरू होंगे।

विजयदशमी समारोह हर साल की तरह सुबह 7.40 बजे रेशमबाग मैदान में आयोजित किया जाएगा। हालांकि इस वर्ष अधिक भीड़ को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे और मोहन भागवत इस अवसर पर मार्गदर्शक भाषण देंगे। इस वर्ष के उत्सव में बड़े पैमाने पर स्वयंसेवकों के भागीदारी की उम्मीद है। पिछले वर्ष 7,000 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित हुए थे। आरएसएस के अनुसार इस वर्ष इस संख्या के तीन गुना होने की उम्मीद है। देश-विदेश के गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।

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पंच-सूत्रीय परिवर्तन विषय पर आयोजित की जाएगी एक सीरीज

आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इस अवसर पर पंच-सूत्रीय परिवर्तन विषय पर वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की एक सीरीज आयोजित की जाएगी। इसमें पर्यावरणीय पहल, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भर व्यवस्था को प्रोत्साहित करना, परिवार जागरूकता को सुदृढ़ बनाना और नागरिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना शामिल है। इन प्रमुख क्षेत्रों के अलावा पूरे साल देश भर में विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यक्रम और संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।

आरएसएस ने कहा है कि शताब्दी वर्ष न केवल उसके स्वयंसेवकों के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि समाज के लिए भी एक व्यापक उत्सव है। सुनील आंबेकर ने कहा, “शताब्दी वर्ष केवल संघ के बारे में नहीं है। यह समाज की सामूहिक भावना, हमारे राष्ट्र के प्रति गौरव और एक मजबूत एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के संकल्प को दर्शाता है। औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति ही अंतिम लक्ष्य है और अंततः सभी को इससे मुक्त होना ही होगा।”