महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में अगले हफ्ते एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में मणिपुर, पश्चिम बंगाल में संदेशखाली घटना, पंजाब में किसानों का आंदोलन, समान नागरिक संहिता (UCC), जनसंख्या नियंत्रण समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि 15-17 मार्च की बैठक के एजेंडे में मणिपुर में संघर्ष को कैसे मैनेज किया जाए, इसके बारे में सुझाव दिए जाएंगे।

सूत्रों ने कहा कि जमीनी स्तर पर आरएसएस खुद मणिपुर के घाटी और पहाड़ी इलाकों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए कुकी समुदाय के कुछ वर्गों तक पहुंच रहा है। मणिपुर में घाटी इलाकों में केंद्रित प्रभावशाली मैतई लोग बीजेपी को समर्थन करते हैं। हाल ही में आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था, “कई असामाजिक तत्व हैं जो हिंसा चाहते हैं। दोनों समुदायों को एक-दूसरे से बात करने और समाधान निकालने के लिए एक रास्ता खोजना होगा।”

आरएसएस के एजेंडे में एक और मुद्दा संदेशखाली की घटनाएं हैं, जिसने सत्तारूढ़ टीएमसी को परेशानी में डाला है क्योंकि उसके नेताओं पर यौन उत्पीड़न सहित स्थानीय आबादी के उत्पीड़न का आरोप है। एक सूत्र ने कहा, “यह लंबे समय से चल रहा है। अब जाकर महिलाओं ने सामने आकर बोलने की हिम्मत जुटाई है। इसके समाज पर दूरगामी परिणाम होंगे, इसलिए यह बहुत चिंता का विषय है। उम्मीद है अब और लोग सामने आएंगे और बोलेंगे।”

भाजपा शासित हरियाणा में दिल्ली की ओर जा रहे प्रदर्शनकारी किसानों पर कार्रवाई के बाद आरएसएस भी इस मुद्दे को उठाएगा। इससे पहले आरएसएस की किसान शाखा भारतीय किसान संघ ने ‘हिंसक’ घटनाओं के कारण विरोध प्रदर्शन की आलोचना की थी और सुझाव दिया था कि सरकार इसमें शामिल किसान नेताओं के साथ बातचीत न करे।

यूसीसी को लेकर भी आरएसएस की बैठक में चर्चा हो सकती है। संघ ने पहले ही कहा है कि आदिवासी समुदाय, जो अपनी संस्कृति और जीवन शैली पर यूसीसी के प्रभाव से भयभीत हैं, उन्हें ऐसे किसी भी कानून के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। संघ ने आदिवासियों के बीच आधार स्थापित करने के लिए एक लंबे समय से अभियान चलाया है और वह नहीं चाहेगा कि कोई भी उपाय उस पकड़ को खतरे में डाले।