राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने आखिरकार अपनी ड्रेस बदलने का फैसला कर लिया है। अब आरएसएस के कार्यकर्ता खाकी हाफ पैंट की जगह भूरे रंग की फुल पैंट में नजर आएंगे। यूनिफॉर्म बदलने का फैसले आरएसएस की सबसे बड़ी ईकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की राजस्थान के नागौर में हुई बैठक में लिया गया। आरएसएस की ड्रेस बदलने को लेकर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन आम सहमति नहीं बन सकी थी। नई यूनिफॉर्म के लिए एक साल पहले संघ के वरिष्ठ विचारकों की एक कमेटी बनाई गई थी। नई यूनिफॉर्म की घोषणा करते हुए आरएसएस के भैयाजी जोशी ने कहा कि हम हमेशा वक्त के हिसाब से बदलते हैं।

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संघ का मानना है कि मौजूदा हाफ पैंट का आकार और रंग युवाओं के बड़े वर्ग तक जुड़ने में अड़चन बना हुआ था। संघ को उम्मीद है कि ड्रेस बदलने के बाद वे ज्यादा युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर पाएंगे। आरएसएस के 90 साल के इतिहास में केवल एक बार इसकी ड्रेस बदली गई है। युवाओं को अपने साथ और ज्यादा युवाओं को जोड़ने के साथ ही उत्तरी भारत के मौसम को भी इस फैसले के पीछे देखा जा रहा है।

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आरएसएस ने इससे पहले साल 2010 में चमड़े के बेल्ट की जगह कैनवास बैल्ट को अपनाया था। ऐसे ही वर्ष 1973 में गम बूट की जगह सामान्य चमड़े या रैगजीन के जूते ड्रेस में शामिल किए गए थे। आरएसएस की ड्रेस में सबसे पहला बदलाव साल 1939 में हुआ था। उस वक्त आरएसएस ने अपनी खाकी शर्ट की जगह सफेद शर्ट करने का फैसला किया था।

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