राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी सभी संस्थाओं को सार्वजनिक जीवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने से बचने को कहा है। संघ ने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसी संस्थाओं को प्रधानमंत्री द्वारा गौ-रक्षकों की निंदा वाले बयान से नाराजगी जाहिर करने से मना किया है। आगरा में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश (ब्रज और मेरठ क्षेत्र) के 236 कार्यवाहकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर कुछ विहिप नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से भाजपा को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे यह भी संदेश गया कि संघ के भीतर ही दरार पड़ गई है। बैठक में संघ और उससे सम्बद्ध विहिप, भाजपा, विद्या भारती, अखिल भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ, सहकर भारती, क्रीडा भारती, पूर्व सैनिक सेवा परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, विज्ञान भारती और लघु उद्योग भारती समेत 33 इकाइयों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। खबर है कि बैठक में भागवत ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मेंं होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत में मदद के लिए रणनीतियों पर भी चर्चा की।
ब्रज प्रांत के प्रचारक प्रदीप ने कहा, ”सरसंघचालक मोहन भागवत ने हमसे एक होने को कहा है। यूं तो सभी संस्थाएं स्वतंत्र रूप से कार्य करती हें, राष्ट्र निर्माण आैर विकास के लिए उनके बीच अच्छा समन्वय होना बेहद जरूरी है। भागवत ने कहा कि सभी स्वयंसेवकों को निस्वार्थ भाव से काम करते हुए देश के लिए सबसे बेहतर योगदान करना चाहिए।” उत्तराखंड के एक आरएसएस पदाधिकारी ने कहा, ”आने वाले चुनावों पर चर्चा हुई… कैसे जमीन से जुड़कर लोगों से मजबूत संपर्क बनाया जाए। मुख्य मुद्दों में विवादों में फंसने से बचने और अगले कुछ महीनों तक चुप रहने पर बात हुई।” भागवत ने इस मौके पर पिछले ढाई साल में संघ और उसकी संस्थाओं द्वारा किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट भी देखी।
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बैठक में भागवत ने फिर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को आजाद कराने की बात की। आगरा में चार दिन की बैठक बुधवार को खत्म हो गई। इसके बाद भागवत लखनऊ में कार्यकर्ताओं को दो दिन संबोधित करेंगे।