Organiser Latest Article Disclosed China Plot: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ी पत्रिका आर्गनाइजर (Organiser) ने अपने नए अंक में कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (The Hindenburg Research report) का अडानी समूह के बाजार पूंजीकरण (Adani Group’s Market Capitalisation) पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक हमला था और यह चीन को फायदा पहुंचाने के लिए रची गई साजिश का हिस्सा है। पत्रिका ने यह भी कहा कि ऐसे खुलासे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बीबीसी (BBC) की दुर्भावनापूर्ण डाक्युमेंट्री से प्रेरित हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फंड को खत्म करने का था इरादा

पत्रिका में सुमीत मेहता (Sumeet Mehta) और बिनय कुमार (Binay Kumar Singh) के लेख में कहा गया है, “इस रिपोर्ट का इरादा भारतीय कंपनियों की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा करना और और भारतीय अर्थव्यवस्था को बदनाम करना था, और इस तरह भारतीय कंपनियों के लिए फंड जुटाने के अवसरों और विकल्पों को रोकना था।”

कई अन्य प्रतिष्ठित और बड़ी कंपनियों, बैंकों को भी बनाया गया निशाना

अमेरिकी अदालतों में हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछली ऐसी रिपोर्टों को जरा सा भी महत्व नहीं देने के उदाहरणों का हवाला देते हुए लेख में कहा, “इसके बावजूद, भारत में, हिंडनबर्ग रिपोर्ट को मीडिया और राजनीति जगत के एक हिस्से ने विश्वसनीय और अति सच्चाई के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। रिपोर्ट का उपयोग न केवल अडानी समूह की कंपनियों को टारगेट करने में इस्तेमाल किया गया, बल्कि कई अन्य प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित बड़ी कंपनियों और विश्वसनीय बैंकों को निशाना बनाया गया।

दूसरे शब्दों में इसने भारतीय बाजारों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक साथ हमले का रूप ले लिया। वास्तव में, यह दो हफ्ते पहले पीएम मोदी पर बीबीसी की दुर्भावनापूर्ण और बदनाम करने वाली रिपोर्ट को सही ठहराने की कोशिश करना था। लेख में यह भी बताया गया कि ये हमले चीन को लाभ पहुंचाने के इरादे से किए गये थे और पूर्व के कई घटनाओं का हवाला देकर बताया जिसमें तमाम बाधाओं के चलते भारत के उत्तर-पूर्वी पड़ोसी को बाजार में अधिक पहुंच मिल सकी।

तूतीकोरिन में स्टरलाइट के कॉपर स्मेल्टर पर भी हुए थे ऐसे हमले

रिपोर्ट में कहा गया, “भारतीय अर्थव्यवस्था और कंपनियां भारत और विदेशों में निहित स्वार्थों द्वारा बार-बार विभिन्न प्रकार के हमलों का शिकार बनी हैं। हमलों के रूप अलग हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं से शुरू होकर, यह दंगाइयों और उपद्रवियों में बदल गए, और अब अंत में हम नए तरह के वित्तीय हमले देख रहे हैं।” इसमें तूतीकोरिन में स्टरलाइट के कॉपर स्मेल्टर के विरोध में इसे बंद करने के लिए मजबूर करने के मामले का हवाला दिया।

लेख के मुताबिक “इसके परिणामस्वरूप भारत 2018-19 में 18 वर्षों में पहली बार तांबे का पूरी तरह से आयातक बन गया, जबकि वह 2017-18 में 3,35,000 मीट्रिक टन तांबे का निर्यात करके तांबे का पूरी तरह से निर्यातक हो चुका था। परिणाम क्या हुआ? चीन, जिसके पास तांबे का विशाल भंडार था, अपने स्थिर स्टॉक को निकालने में सक्षम हो पाया। इससे भारत को होने वाले नुकसान की कल्पना कीजिए! बाद में पता चला कि स्मेल्टर से कोई प्रदूषण पैदा नहीं हो रहा था।”

लेख ने बताया, “सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह था कि भारतीय कंपनियों और अर्थव्यवस्था को निशाना बनाने के लिए स्टरलाइट के खिलाफ विरोध में चीन से वित्तपोषित ब्रिटेन स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘फॉयल वेदांता’ का उपयोग किया गया।”