राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले शुक्रवार को एबीवीपी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा कि छात्र संगठनों को देश को टुकड़े-टुकड़े करने की बात नहीं करनी चाहिए। बता दें कि होसबोले 15 अप्रैल को एवीबीपी के 75 साल के इतिहास से संबंधित दो पुस्तकों के विमोचन के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे।

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने इस मौके पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं से दिलचस्प वाकया साझा किया। उन्होंने बताया कि एक बार एक प्रिंटिंग प्रेस में एबीवीपी का एक कार्यकर्ता संघ के कार्यों से जुड़ी एक किताब प्रकाशित करवा रहा था। उस दौरान छपाई मशीन पर काम करने वाले एक युवक ने उसे आधी रात को शराब ऑफर करते हुए कहा, “ले लो, तुम एक्टिव रहोगे।”

होसबोले ने बताया कि एबीवीपी कार्यकर्ता ने उस व्यक्ति को जबाव दिया, “आप किताब की कवर पर जो तस्वीर देख रहे हैं वह मुझे हमेशा एक्टिव और प्रेरित करता है।” उन्होंने कहा कि कवर पर भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और विवेकानंद की फोटो थी। होसबोले ने कहा कि “ऐसी मनोदशा से ही एबीवीपी ने इतिहास रचा है।”

इस कार्यक्रम में उन्होंने एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से कहा कि छात्र संगठनों को देश को टुकड़े-टुकड़े करने की बात नहीं करनी चाहिए। होसबोले ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से कहा कि वो पूरे उत्साह और लगन मेहनत के साथ देश निर्माण की दिशा में बढ़ते रहें।

उन्होंने किसी संगठन का नाम ना लेते हुए कहा, ‘‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि सभी छात्र संगठन की प्रकृति शासन के खिलाफ होती है। कभी-कभी युवा पीढ़ी को समाज हित के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ती है। लेकिन उसे कभी देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात नहीं करनी चाहिए।’’

होसबोले ने कहा कि छात्रों को क्रांति के नाम पर देश में खून-खराबा नहीं करनी चाहिए। अपने लोगों को मारकर क्या वो क्रांति ला सकते हैं? बंदूक की जोर पर क्रांति लाने का प्रयास करने वाले लोगों को रोकने के लिए एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने अपने प्राणों की आहूति दी है।’