Mohan Bhagwat Three Children Remark: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जब हाल ही में एक कार्यक्रम में तीन बच्चे पैदा करने की वकालत की तो आरएसएस पर नजर रखने वाले लोगों के मन में यह सवाल उठा कि आखिर जनसंख्या नियंत्रण की बात कहने वाले आरएसएस ने अपना स्टैंड क्यों बदल लिया है? आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत से पहले दक्षिण भारत के राज्य- तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ज्यादा बच्चे पैदा करने की वकालत कर चुके हैं।

मोहन भागवत ने अपने भाषण में देश में गिरती प्रजनन दर पर चिंता जताई और शादीशुदा जोड़ों से कहा कि भारत की आबादी कम ना हो इसलिए उन्हें कम से कम तीन बच्चे पैदा करने चाहिए।

मोहन भागवत की इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और वाम दलों ने उन पर निशाना साधा जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने इस मामले में चुप रहना ही ठीक समझा।

जनसंख्या नियंत्रण आरएसएस के प्रमुख एजेंडे में शामिल है। पिछले कुछ सालों में मोहन भागवत जनसंख्या नीति बनाने की बात कह चुके हैं और आरएसएस की बड़ी बैठकों में भी इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है।

‘जनसंख्या अंसतुलन’ पर बोले थे भागवत

साल 2022 में अपने विजयादशमी भाषण में संघ प्रमुख ने ‘जनसंख्या असंतुलन’ की बात कही थी। मोहन भागवत ने कहा था, “लोग कहते हैं कि हमारे पास बहुत बड़ी आबादी है और जब तक हम इस पर नियंत्रण नहीं कर लेते, हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते।” संघ प्रमुख ने कहा था, “चीन जनसंख्या नियंत्रण करने के साथ ही हर दंपति के दो बच्चे होने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने तक पहुंच गया है और अब हमें भी आबादी के बारे में सोचना होगा। 50 साल तक हमारा देश कितने लोगों को खाना खिला पाएगा, हम लोगों को किस तरह की एजुकेशन और स्वास्थ्य सुविधा दे पाएंगे, ऐसे में एक व्यापक नीति जरूरी है।”

मोदी ने भी कही थी जनसंख्या नियंत्रण की बात

न सिर्फ संघ प्रमुख बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जनसंख्या नियंत्रण की बात कह चुके हैं। साल 2019 में 15 अगस्त को लाल किले से दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने जनसंख्या नियंत्रण का समर्थन किया था। मोदी ने कहा था कि तेजी से बढ़ रही जनसंख्या हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने तो छोटे परिवार रखने को देशभक्ति के बराबर बताया था। मोदी ने छोटे परिवार रखने वालों की तारीफ की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें जनसंख्या विस्फोट के बारे में चिंता करने की जरूरत है।

Population Debate: ‘हम दो-हमारे दो’ का नारा हुआ पुराना, आंध्र के बाद तेलंगाना भी रद्द कर सकता है टू चाइल्ड पॉलिसी

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ज्यादा बच्चों की वकालत क्यों?(Source-PTI)

बीजेपी सांसदों ने संसद में उठाया मुद्दा

2019 में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने एक विधेयक पेश किया जिसमें छोटे परिवार की प्रथा अपनाने वालों को प्रोत्साहन देकर दो बच्चों के पैरामीटर को लागू करने और इसे न मानने वालों को दंड देने की मांग की गई थी। उत्तराखंड के नैनीताल-उधमसिंह नगर से बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक 2019 पेश किया था जिसमें विवाहित जोड़ों के लिए दो बच्चों की सीमा तय करने की बात कही गई थी।

हालांकि संघ की ओर से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले बयान भी आ चुके हैं। शादीशुदा जोड़ों को कम से कम तीन बच्चे पैदा करने की सलाह पूर्व संघ प्रमुख केएस सुदर्शन ने 2005 में दी थी। केएस सुदर्शन ने संघ प्रमुख के पद पर रहते हुए कहा था कि दो बच्चे या एक बच्चे के नियम में नहीं फंसना चाहिए। आपके तीन से कम बच्चे नहीं होने चाहिए और अगर आपके इससे ज्यादा बच्चे हैं तो भी अच्छा है।

2015 में विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अगर हिंदू एक ही बच्चे से संतुष्ट रहेंगे तो मुसलमान इस देश पर कब्जा कर लेंगे।

आरएसएस में कई नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने दलित और आदिवासी समुदाय को जनसंख्या नियंत्रण उपायों के दायरे से बाहर रखने के लिए कानून बनाने का समर्थन किया है।

ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात यूं ही नहीं कह रहे हैं CM नायडू और स्टालिन, इसके पीछे है ठोस वजह, आप भी जानिए

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ज्यादा बच्चे पैदा करने के बयान पर हो रही बहस। (Source-PTI)

आंकड़े क्या कहते हैं?

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2019-2021) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 2 है यानी हर महिला 2 बच्चों को जन्म देती है। हिंदुओं में टीएफआर 1.94 है। अनुसूचित जातियों (एससी) में यह 2.08 है और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) में यह आंकड़ा 2.09 है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए टीएफआर 2.02 है जबकि गैर-एससी/एसटी, गैर-ओबीसी जातियों के लिए यह 1.78 है। मुसलमानों का टीएफआर 2.36 है।

16 बच्चों की बात

इसी साल अक्टूबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि दक्षिण में विशेषकर आंध्र प्रदेश में लोगों को कम से कम दो या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तो 16 बच्चे पैदा करने तक की बात कह दी थी। कुछ दिन पहले ही आंध्र प्रदेश की सरकार ने टू चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया था। इस पॉलिसी के तहत दो या उससे ज्यादा बच्चे वालों के स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक थी और अब यह माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश का पड़ोसी राज्य तेलंगाना भी ऐसा कर सकता है।

आंध्र प्रदेश की नायडू सरकार ने जब टू चाइल्ड पॉलिसी को रद्द किया था तो कम प्रजनन दर और लोगों की बढ़ती उम्र को लेकर चिंता जताई थी।