राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि दूसरे मुल्क के धर्म का पालन करने के बावजूद भारत में मुसलमान सबसे ज्यादा खुश हैं। भागवत ने यह बयान आरएसएस समर्थित पत्रिका ‘विवेक’ को दिए इंटरव्यू में कही। जब उनसे पूछा गया कि राम मंदिर के परिप्रेक्ष्य में मुस्लिमों और इसाइयों की सोच कैसे अपने पक्ष में लाई जा सकती है, तो भागवत ने कहा, “कौन सा देश है जहां मुस्लिम सबसे ज्यादा खुश हैं? भारत के मुस्लिम। क्या कई और देश है, जहां एक धर्म जो उस देश में पैदा नहीं हुआ वह अब तक सत्ता में हो या वहां बचा भी हो?”

भागवत ने आगे कहा, “एक खूनी इतिहास के बावजूद मुस्लिम अभी भी यहीं हैं, इसाई धर्म के लोग भी यहीं हैं। जब भारत बन रहा था, तब जैसा माहौल था, तब हिंदुस्तान कह सकता था कि मुस्लिमों के लिए एक पाकिस्तान है तो हिंदुओं का राज हिंदुस्तान में चलेगा। लेकिन हमारे संविधान ने ऐसा कुछ नहीं कहा। यही हमारी प्रकृति है।”

‘भारत में आक्रमण से पहले भी थे मुसलमान’: भागवत ने आगे कहा, “इस देश में मुसलमानों का इतिहास बहुत पुराना है। वे मुस्लिम हमलावरों के आने के पहले से इस देश में हैं। महाराणा प्रताप और शिवाजी के सैनिकों में भी मुसलमान मौजूद थे। युद्ध और शत्रुता का लंबा इतिहास होने के बावजूद मुस्लिम और ईसाई इस देश में रहे। इतिहास के मोड़ पर सब साथ थे। कट्टरपंथी जानबूझ कर बंटवारा करते हैं। संविधान में सबको अधिकार है।”

‘RSS नहीं करेगी काशी-मथुरा में मंदिर का आंदोलन’: आरएसएस प्रमुख से जब पूछा गया कि क्या काशी और मथुरा में मंदिर को लेकर भविष्य में आंदोलन होगा, तो भागवत ने कहा, “हमें नहीं पता, क्योंकि हम आंदोलन करने वालों में नहीं हैं। हमने राम जन्मभूमि के लिए भी आंदोलन शुरू नहीं किया था। हम उस मामले में कुछ हालात की वजह से जुड़ गए थे। मुझे नहीं पता कि हिंदू समाज आगे क्या करेगा। मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि हम आंदोलन शुरू नहीं करेंगे।”