राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार (24 सितंबर 2019) को कहा कि आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों से उनकी नौकरी और जमीन छीनने के डर को खत्म किया जाना चाहिए। भागवत ने विदेशी मीडियार्किमयों से संवाद के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने कहा ‘कश्मीरी पहले ‘अलग-थलग’ थे, लेकिन आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने से उनके और राष्ट्र के बाकी हिस्सों के बीच जो दूरियां थीं वे अब खत्म हो चुकी है।’

आरएसएस ने एक बयान जारी कर कहा ‘सरसंघचालक निश्चित समय अंतराल के साथ समाज के अलग-अलग वर्गों के साथ वार्तालाप कर विचारों का आदान-प्रदार करते हैं। उन्होंने विदेशी मीडिया के पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों से उनकी नौकरी और जमीन छीनने के डर को खत्म किया जाना चाहिए।’

पत्रकारों से सवाल-जवाब के दौरान भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं के बारे में एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि वह हर तरह की हिंसक घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं और स्वयंसेवकों को जहां कहीं भी ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा हो उसे रोकना चाहिए। अगर कोई स्वयंसेवक ऐसी हिंसक घटनाओं में दोषी पाया जाता है तब उसे संगठन से अलग किया जाएगा और इसके बाद कानून अपना काम करेगा। वहीं असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) पर उन्होंने कहा कि यह लोगों को बाहर निकालने का नहीं बल्कि पहचान का मुद्दा है।

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि भारत के अलावा हिंदूओं के लिए कोई और स्थान मौजूद नहीं। मालूम हो कि इससे पहले संघ प्रमुख ने एनआरसी को लेकर बड़ा बयान दिया थआ। उन्होंने कहा था कि एक भी हिंदू को देश छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा। भागवत ने यह टिप्पणी संघ और बीजेपी समेत उससे जुड़े संगठनों की बंद दरवाजे के पीछे हुई समन्वय बैठक के दौरान आई।