राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS CHIEF MOHAN BHAGWAT) आज केरल में थे। उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित शिक्षा सम्मेलन ज्ञान सभा में हिस्सा लिया। अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमें फिर से सोने की चिड़िया नहीं बनना है बल्कि हमको शेर बनना है। मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया शक्ति की ही बात समझती है और शक्ति संपन्न भारत होना चाहिए।

क्या है भारतीय शिक्षा प्रणाली?

मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में दूसरों के लिए जीने और त्याग करने की भावना भी सिखाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो इंसान को कहीं भी अपने दम पर जीने की क्षमता दे। मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल नौकरी ही नहीं बल्कि व्यक्ति अपने आत्मज्ञान और कौशल के आधार पर जीवन यापन कर सके।

भारत क्या है?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “योगी अरविंद ने कहा कि सनातन धर्म का उत्थान ईश्वर की इच्छा है और सनातन धर्म के उत्थान के लिए हिंदू राष्ट्र का उदय अपरिहार्य है। ये उनके शब्द हैं, और हम देखते हैं कि आज की दुनिया को इस दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसलिए हमें पहले यह समझना होगा कि भारत क्या है। भारत एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है। इसका अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए। ‘इंडिया जो भारत है’ सत्य है। लेकिन भारत भारत है, और इसीलिए लिखते और बोलते समय हमें भारत को भारत ही रखना चाहिए। भारत को भारत ही रहना चाहिए। भारत की पहचान का सम्मान किया जाता है क्योंकि यह भारत है। यदि आप अपनी पहचान खो देते हैं, तो आपके पास चाहे जितने भी अन्य गुण क्यों न हों, आपको इस दुनिया में कभी सम्मान या सुरक्षा नहीं मिलेगी। यही मूल नियम है।”

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मोहन भागवत ने कहा कि विकसित भारत, विश्व गुरु भारत, अब भी युद्ध का कारण नहीं बनेगा, कभी शोषण नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हम मैक्सिको से साइबेरिया तक गए हैं, हम पैदल चले हैं, हम छोटी नावों में गए हैं। हमने किसी के क्षेत्र पर आक्रमण करके उसे बर्बाद नहीं किया। भागवत ने कहा कि हमने किसी का राज्य नहीं हड़पा। हमने सभी को सभ्यता सिखाई। उन्होंने कहा कि आप भारतीय ज्ञान की परंपरा देखिए, परंपरा का मूल उस सत्य में है। पूरे विश्व की एकता का सत्य।”

मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के पीछे एक छोटा सा उद्देश्य यह है कि आप अपने जीवन में खुद खड़े हो सकें और अपने परिवार को एकजुट रख सकें।