राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में तीन दिवसीय कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधन दिया। 28 अगस्त को मोहन भागवत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि क्या संघ में गृहस्थ यानि विवाहित लोग भी महासचिव की कुर्सी पर बैठ सकते हैं? इस जवाब मोहन भागवत ने दिया।
गृहस्थ स्वयंसेवक काम कर सकते हैं- मोहन भागवत
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सवाल का जवाब देते हुए कहा, “जब संघ का कठिन समय था और उस समय श्री भैयाजी ढाणी जो एक अच्छे किसान थे, वह संघ के सरकार्यवाह रहे। उनकी भरी पूरी गृहस्थी थी। ऐसा नहीं है कि संघ के गृहस्थ स्वयंसेवक काम नहीं कर सकते हैं। वे काम कर सकते हैं लेकिन यहां आने के बाद उन्हें पूरा समय देना पड़ता है और गृहस्थ को गृहस्थी भी संभालती पड़ती है। हमारा मानना है कि जो भी काम स्वयंसेवक करें वह अच्छा करें। अगर कोई गृहस्थी संभालता है तो वह अच्छी गृहस्थी संभाले।”
आरएसएस चीफ ने कहा कि संघ में हमारे प्रचारक साढ़े तीन हजार हैं लेकिन हमारे जो कार्यकर्ता हैं, जिन्हें दायित्व मिला है वह करीब 5 से 7 लाख है। लेकिन हम हमेशा मौजूद है क्योंकि हम गृहस्थ नहीं हैं। इसलिए ज्यादा कार्यभार हम पर डाला जाता है। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ बड़ा विचित्र है और आप अंदर आकर ही इसे समझ सकते हैं।
‘मैंने कभी नहीं कहा किसी को 75 साल में रिटायर हो जाना चाहिए’, RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान
75 साल में रिटायरमेंट पर बोले मोहन भागवत
संघ प्रमुख से 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर भी सवाल पूछा गया। मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर होना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक कोई काम कर सके उसे काम करना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी को रिटायर होना चाहिए। संघ में हमें काम दिया जाता है, चाहे हम चाहें या न चाहें। अगर मैं 80 साल का हूं और संघ कहता है कि जाओ और शाखा चलाओ, तो मुझे करना ही होगा। संघ जो भी कहता है, हम करते हैं। यह किसी की रिटायरमेंट के लिए नहीं है। हम रिटायर होने या काम करने के लिए तैयार हैं, जब तक संघ चाहता है।”