राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़े मजदूर यूनियन ‘भारतीय मजदूर संघ’ (BMS) ने भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर चुकी है। बीएमएस ने मोदी सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो (PSU) के निजीकरण के खिलाफ हल्ला बोलने का मन बनाया है। पीएसयू को लेकर सरकार की जारी नीतियों का प्रतिरोध करने के लिए यूनियन से जुड़े कर्मचारियों को दिल्ली बुलाया गया है। ‘द इकोनॉमिक्स टाइम्स’ (ET) के मुताबिक 15 नवंबर को राजधानी दिल्ली में सरकार के खिलाफ आगामी दिनों उठाए जाने वाले कदमों पर विचार-विर्मश किया जाएगा।

गौरतलब है कि संघ से जुड़े मजदूर यूनियन का यह तेवर ऐसे वक्त में सामने आया है, जब गृह मंत्री अमित शाह और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में दिल्ली स्थिति बीएमएस मुख्यालय का दौरा किया था। ET ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कई मुद्दों पर बीएमएस को राजी करने के लिए बीजेपी ने कई कोशिशें की हैं। हालांकि, यूनियन का कहना है कि शाह का उनके मुख्यालय पर पहुंचना एक शिष्टाचार मुलाकात थी। जहां उन्होंने कर्मचारियों के साथ चाय पी थी।

न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बीएमएस के महासचिव व्रिजेश उपाध्याय ने कहा कि आज जरूरत है कि इंदिरा गांधी के वक्त लिए गए खराब फैसलों को खत्म किया जाए। लेकिन, वर्तमान सरकार उन्हीं नीतियों को आज भी अनुसरण कर रही है, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण और विनिवेश शामिल है। ET को दिए बयान में बीएमएस से जुड़े एक शख्स ने बताया कि चूंकि पीएसयू सेक्टर अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। ऐसे में हमारी कोशिश है कि हम पीएसयू से जुड़े लोगों के साथ एक एक्शन प्लान बनाने जा रहे हैं। इसके लिए बीएमएस मार्केट एसोसिएशन और इंडस्ट्रीज सेक्टर से जुड़े अन्य यूनियनों को भी साथ लाने को लेकर बातचीत कर रहा है।