धौलीगंगा नदी का जल स्तर गुरुवार को अचानक फिर से बढ़ गया, जिससे बचावकर्मियों को मजबूरन चार दिन पहले आई बाढ़ के बाद तपोवन जलमार्ग परियोजना सुरंग में फंसे 30 से अधिक लोगों तक पहुंचने के प्रयासों को स्थगित करना पड़ा। अफसरों के मुताबिक रविवार को आए आपदा के बाद मल्टी एजेंसीज बचाव दल द्वारा किए जा रहे चोक सुरंग से मलबे और कीचड़ को हटाने के कार्य को अस्थायी रूप से रोका गया है। इस आपदा में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और 170 लोग अब भी लापता हैं।
पानी में अचानक वृद्धि से कुछ घंटे पहले बचाव दल ने फंसे हुए मजदूरों तक जीवन रक्षक उपकरण पहुंचाने के लिए नदी के मुहाने से मलबे के माध्यम से ड्रिल करने के लिए एक अभियान शुरू किया था। मलबे के टीले को शिफ्ट करने की कोशिश के बाद रणनीति में बदलाव किया गया। सुरंग के अंदर काम कर रहे सुरक्षाकर्मियों को बाहर निकाला गया और मलबे के जरिए ड्रिलिंग में लगी भारी मशीनें और अंदर कीचड़ को हटा लिया गया।
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि एहतियात के तौर पर काम अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। अंदर फंसे लोगों की सुरक्षा की बढ़ती चिंता के बीच बचाव अभियान का केंद्र बिंदु 1.5 किलोमीटर लंबी “हेड-रेस सुरंग” है, जो सुरंगों के 2.5 किलोमीटर लंबे नेटवर्क का एक हिस्सा है। प्रमुख बचाव एजेंसी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने दिल्ली में बताया, “बचाव दल द्वारा 2 बजे नीचे की ओर लगभग 12-13 मीटर की दूरी पर स्लश-फ्लशिंग सुरंग में झांकने के लिए एक ड्रिलिंग ऑपरेशन शुरू किया गया था।”
उन्होंने आगे कहा, “चूंकि स्लश और गाद का निरंतर प्रवाह बचावकर्मियों और उनके बीच फंसे लोगों के बीच एक बड़ी बाधा बना हुआ है, इसलिए एक बड़ी मशीन से बोरिंग करके यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या किसी और तरीके से इस संकट को निपटाया जा सकता है। और साथ ही यह पता की जा रही है कि क्या टीम के लोग और अंदर तक जा सकते हैं।”
एनटीपीसी परियोजना स्थल पर बड़े पैमाने पर बचाव कार्य की देखरेख कर रहे गढ़वाल मंडल के आयुक्त रविनाथ रमन ने पीटीआई को बताया कि सुरंग के अंदर लगभग 68 मीटर से ड्रिलिंग शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि इस समय सबसे बड़ा फोकस फंसे हुए लोगों तक जीवन रक्षक उपकरण जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने पर है। वहां तक पहुंचने के लिए 12 मीटर तक ड्रिलिंग की जानी है।