सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोहिंग्याओं को भारत से निकालने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें रोहिंग्याओं को जबरदस्ती म्यांमार भेजने का जिक्र किया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि सरकार द्वारा एक समूह को जबरन वापस भेज दिया गया और उन्हें म्यांमार में वॉर जोन में धकेल दिया गया है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक बहुत ही खूबसूरती से गढ़ी गई कहानी है, खासकर तब जब देश ऐसे कठिन समय से गुजर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर कोर्ट ने जताई आपत्ति

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि यदि वे शरणार्थी हैं तो इस पर गंभीर विवाद है। पीठ ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला दिए जाने पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि बाहर बैठे लोग हमारे अधिकार और हमारी संप्रभुता को निर्देशित नहीं कर सकते हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “अस्पष्ट और टालमटोल करने वाले बयानों के समर्थन में कोई भी सबूत नहीं है। जब तक आरोपों को कुछ प्रथम दृष्टया सबूत नहीं मिलता, तबतक हमारे लिए एक बड़ी पीठ द्वारा पारित आदेश पर विचार करना कठिन है।” पीठ ने मामले को 31 जुलाई के लिए तीन जजों की पीठ के समक्ष लिस्ट कर दिया।

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‘बहुत ही खूबसूरती से तैयार की गई कहानी है’

पीठ ने यह भी कहा कि तीन जजों की पीठ ने 8 मई को उनके डिपोर्टेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा पीठ ने कहा था कि उन्हें याचिका में जबरन निकाले जाने के दावों की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि 38 रोहिंग्याओं को उठाकर जबरन अंडमान के एक द्वीप पर ले जाया गया और अब वे सभी वॉर जोन में हैं। इसपर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “कृपया हमें पहले सबूत दिखाएं। हमने कहानी पढ़ी है, यह बहुत ही खूबसूरती से तैयार की गई कहानी है। उन्हें कौन देख रहा था? वीडियो किसने रिकॉर्ड किया? याचिकाकर्ता का कहना है कि वह वहां था तो वह वापस कैसे आया?”

नाराजगी जताते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “जब देश ऐसे कठिन समय से गुजर रहा है, आप हर दिन काल्पनिक विचार लेकर सामने आते हैं। यदि आपके पास कुछ सबूत है तो कृपया उसे रिकॉर्ड में रखें।” इस पर वकील गोंजाल्विस ने कहा कि म्यांमार से डिपोर्टेड लोगों का एक टेलीफोन कॉल आया था जिसे याचिकाकर्ता ने रिकॉर्ड कर लिया था। इसपर जस्टिस कांत ने पूछा, “किसने वैरिफाई किया है कि ये कॉल म्यांमार से हैं? भारत में बैठे साइबर अपराधी अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई आदि नंबरों से कॉल करते रहते हैं। इसे किसने वैरिफाई किया है?” गोंजाल्विस ने कहा कि सरकार इसकी पुष्टि कर सकती है।

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “इस देश में सबूत का एक कानून है। रिट मामलों में, बेशक हमारा दृष्टिकोण बहुत लिबरल है। कृपया हमें बताएं कि आपको यह जानकारी कौन बता रहा है, यह जानकारी कहां से आई है, कौन इसकी पुष्टि करेगा और किसने कहा है कि मुझे इसकी व्यक्तिगत जानकारी है?” गोंजाल्विस ने चकमा शरणार्थियों के मामले का हवाला दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार ने उन्हें नागरिकता देने के लिए अदालत को लिखित में प्रतिबद्धता दी है। इसके अलावा कोर्ट ने पूछा कि क्या इस मामले में ऐसी कोई प्रतिबद्धता है?