राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव आज अपनी आगे की लड़ाई के लिए जेडीयू नेता शरद यादव के भरोसे रह गये हैं। लालू यादव को शरद यादव की शख्सियत में वो तेज नजर आता है जिसे आगे लेकर लालू बिहार में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को टक्कर देना चाहते हैं। लालू यादव ने शनिवार को फिर ट्वीट कर शरद यादव से साथ आने की अपील की है। लेकिन गुजरे जमाने की बात है जब लालू और शरद यादव राजनीतिक प्रतिद्वन्दी हुआ करते थे। लोकसभा चुनाव में दोनों नेता कई बार एक दूसरे के आमने सामने आए हैं। 2004 में लालू यादव मधेपुरा लोकसभा सीट से शरद यादव को शिकस्त दे चुके हैं। जबकि 1999 में लालू यादव को शरद यादव से इसी सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा था। आज राजनीतिक मजबूरियों की वजह से लालू यादव को शरद यादव के साथी नीतीश कुमार को टक्कर देने के लिए उनके साथ की जरूरत पड़ गई है।
लालू यादव ने शनिवार को ट्वीट कर कहा है, ‘हमने और शरद यादव जी ने साथ लाठी खाई है, संघर्ष किया है। आज देश को फिर संघर्ष की ज़रूरत है। शोषित और उत्पीडित वर्गों के लिए हमें लड़ना होगा। लालू यादव आगे कहते है, ‘ग़रीब,वंचित और किसान को संकट/आपदा से निकालने के लिये हम नया आंदोलन खड़ा करेंगे। शरद भाई,आइये सभी मिलकर दक्षिणपंथी तानाशाही को नेस्तनाबूद करे।’ जाहिर लालू के ट्वीट की भाषा से पता चलता है उन्हें शरद यादव की सख्त जरूरत है।
हमने और शरद यादव जी ने साथ लाठी खाई है, संघर्ष किया है।आज देश को फिर संघर्ष की ज़रूरत है। शोषित और उत्पीडित वर्गों के लिए हमें लड़ना होगा।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 29, 2017
ग़रीब,वंचित और किसान को संकट/आपदा से निकालने के लिये हम नया आंदोलन खड़ा करेंगे।शरद भाई,आइये सभी मिलकर दक्षिणपंथी तानाशाही को नेस्तनाबूद करे
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) July 29, 2017
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या शरद यादव, यादवों के सबसे बड़े नेता की पुकार सुनेंगे। क्या शरद यादव दिल्ली में रहना पसंद करेंगे या फिर फिर से संघर्ष पथ पर उतरेंगे। खबर है कि नीतीश के फैसले पर सवाल खड़ा करने वाले शरद यादव को मनाने के लिए उन्हें केन्द्र में मंत्री पद दिया जा रहा है। शुक्रवार को भी संसद में शरद यादव चुप्पी साधे बैठे रहे। ऐसे में देश को उनके आगे के कदम का इंतजार है। बता दें कि बीजेपी जब नीतीश कुमार के साथ बिहार की सरकार में शामिल हुई तो शरद यादव और पार्टी नेता अली अनवर ने उनके इस फैसले पर खड़ा कर दिया। शरद यादव को जेडीयू से नाराज देखकर लालू यादव उनके सामने सियासी चारा फेंक रहे हैं।