इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आज (26 फरवरी) शाम को लगभग 5 बजकर 40 मिनट (भारत में) पर लगेगा। ग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाएगा। वहीं इस सूर्य ग्रहण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। सूर्य ग्रहण कैसे देखना चाहिए ? रिंग्स ऑफ फायर क्या है ? ऐन्युलर एक्लिप्स क्या होती है ? इन सभी बातों को जानना जरूरी है।
सूर्य ग्रहण क्या है?
सीधे शब्दों में कहें तो सूर्य ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब चांद सूरज और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। चांद से पृथ्वी की दूरी लगभग 31 हजार मील की है और ग्रहण के समय ये दूरी कम होकर लगभग 23 हजार मील की हो जाएगी। चांद और पृथ्वी कुछ समय के लिए करीब आ जाएंगे।
कैसा दिखेगा सूर्य ग्रहण ?
ग्रहण के समय जब चांद सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाएगा तो सूर्य की पृथ्वी पर पड़ने वाली ज्यादातर रोशनी ब्लॉक हो जाएगी। हालांकि किनारे देखे जा सकेंगे जो काफी सुंदर नजर आते हैं लेकिन इसे आप किसी भा हाल में नंगी आंखों से न देखें। रोशनी रुकने के इफेक्ट को नेगेटिव शैडो कहते हैं। वहीं चांद सूर्य की तुलना में काफी छोटा होता है ऐसे में वह उसकी पूरी रोशनी नहीं रोक सकता। इसी वजह से रिंग ऑफ लाइट या फिर रिंग ऑफ फायर तैयार होती है।
क्या है ऐनुलर एक्लिप्स ?
विज्ञान की भाषा में ऐनुलर एक्लिप्स उस स्थिति को कहते हैं जब ग्रहण लगने से गहरा अंधेरा अपने चरम पर पहुंच जाता है। इस दौरान एक्लिप्स काफी खूबसूरत नजर आती हैं। रिंग ऑफ फायर ग्रहण का एक हिस्सा है और पूरे ग्रहण को ऐनुलर एक्लिप्स कहा जाता है।
कहां-कहां देखा जा सकता है ग्रहण ?
ग्रहण या रिंग ऑफ फायर को दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण अटलांटिक महासागर क्षेत्रों में इस ग्रहण को देखा जा सकेगा। वहीं ग्रहण सबसे
ज्यादा समय तक दक्षिणी प्रशांत महासागर एरिया में बना रहेगा। लगभग 1 मिनट 22 सेकेंड तक।
ग्रहण देखते समय रखें इन बातों का ध्यान ?
ग्रहण दिखने में बेहद खूबसूरत होता है लेकिन नंगी आंखों से इसे देखना खतरनाक साबित हो सकता है। इसके लिए खास तरह के चश्मे और दूरबीन का इस्तेमाल किया जाता है। नंगी आंखों से ग्रहण देखने से आंखे खराब होने के साथ दिमाग या फिर नसें भी डैमेज हो सकती हैं।