कोरोना काल में सार्वजनिक वाहनों पर लगी बंदिशों ने निजी वाहन खरीदने वालों की संख्या बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा खरीदारी दोपहिया वाहनों की हो रही है। घर, दफ्तर या दुकान जाने के लिए मेट्रो, बस या अन्य वाहनों का परहेज कर रहे लोगों ने दुपहिया गाड़ी को अपनी पसंद बनाया है।

परिवहन विशेषज्ञ अनिल चिकारा मानते हैं कि यह सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था पर चोट है लेकिन इसने अर्थव्यवस्था को फौरी राहत जरूर दी है। एक अनुमान के मुताबिक, इस समय बिक्री का आंकड़ा करीब 80 फीसद तक दुपहिये पर रहा है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि लोग सार्वजनिक वाहनों से लोग फिर निजी वाहनों की ओर जाएंगे जिससे जाम के हालात बढ़ेंगे।

सरकारी रपट के मुताबिक, एक अप्रैल से 30 जून, 2020 तक दिल्ली में कुल 37363 वाहनों का पंजीकरण किया गया है। इस दौरान इन वाहनों में 28608 वाहन दुपहिया श्रेणी के थे। जबकि 7169 कारों का पंजीकरण परिवहन विभाग ने किया है। इसके बाद सबसे अधिक 587 भारी वाहन व 354 ई-रिक्शा का पंजीकरण हुआ है। पांच श्रेणी में 10 से अधिक गाड़ी पंजीकरण नहीं हुए हैं।

सामान्य दिनों में हर दिन बिकते थे 1700 वाहन
दिल्ली सरकार में पंजीयन के आंकड़े के मुताबिक, कोरोना काल से पहले सामान्य दिनों में प्रतिदिन 1700 से अधिक नए वाहन बिकते थे। दीपावली, नया साल, ईद व सहालग में यह आंकड़ा बढ़कर 1800 से 2000 के बीच पहुंच जाता है।

2018-19 में देखी गई थी गिरावट
दिल्ली में वाहनों की संख्या में वार्षिक वृद्धि दर 2005- 06 में 8.13 फीसद थी। आर्थिक सर्वेक्षण रपट के मुताबिक, यह दर 2018-19 में गिरकर केवल 3.69 फीसद रह गई थी। इसी अवधि में प्रति हजार जनसंख्या के आधार पर वाहनों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।

यह प्रति एक हजार में 317 से बढ़कर 616 हो गई है। दिल्ली में इस दौरान निजी वाहनों की संख्या 113.92 लाख थी। इन वाहनों में 29 फीसद कार व जीप और 66 फीसद दुपहिया वाहन थे।