वैज्ञानिकों ने अपने एक नए शोध में दावा किया है कि गर्म क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों के गुर्दे कहीं ज्यादा तेजी से खराब होते हैं। शोध से पता चला है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित मरीज जो बेहद गर्म क्षेत्रों में रहने को मजबूर हैं, वो सालाना गुर्दे की कार्यक्षमता में आठ फीसद की अतिरिक्त गिरावट का अनुभव करते हैं।

गुर्दे की कार्यक्षमता में यह अंतर समशीतोष्ण जलवायु में रहने वाले मरीजों की तुलना में देखा गया है। बता दें कि समशीतोष्ण क्षेत्रों में तापमान बहुत ज्यादा गर्म नहीं होता। साथ ही वहां सर्दी और गर्मी के तापमान में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता। यह शोध लंदन स्कूल आफ हाइजीन एंड ट्रापिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) और यूनिवर्सिटी कालेज लंदन (यूसीएल) से जुड़े शोधकतार्ओं के नेतृत्व में किया गया है, जिसके नतीजे जर्नल द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित हुए हैं।

अपने इस अध्ययन में शोधकतार्ओं ने गर्मी और क्रोनिक किडनी डिजीज के बीच संबंधों को उजागर किया है। बता दें कि क्रोनिक किडनी डिजीज, सालों पुराने वे मर्ज हैं जो गुर्दे को प्रभावित करते हैं। अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक गर्म देशों में किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गर्मी एक बड़ी समस्या है।

वहीं जिस तरह वैश्विक तापमान में वृद्धि आ रही है यह स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है।हालांकि इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि वे देश अमीर है या गरीब या इससे पीड़ित मरीजों को मधुमेह जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का हर दसवां इंसान आज किडनी संबंधी बीमारियों का शिकार है। गौरतलब है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के लिए विभिन्न कारण जिम्मेवार होते हैं।

इन सभी की वजह से किडनी की कार्यक्षमता में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है। ऐसे में जब गुर्दे मरीज को जीवित रखने के लिए सक्षम नहीं रहते तो उन्हें डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। सीकेडी का इलाज महंगा नहीं है, लेकिन किडनी प्रत्यारोपण या डायलिसिस पर ज्यादा खर्च आता है। इनका इलाज मरीजों का जीवन बेहद कठिन बना देता है।

शोधकतार्ओं के मुताबिक केवल गुर्दे की विफलता के इलाज में एनएचएस अपने बजट का तीन फीसद खर्च करता है। वहीं, यूके में सालाना हर मरीज के डायलिसिस पर 30 से 40 हजार पाउंड का खर्च आता है। ब्रिटेन में, सालाना करीब 70,000 लोगों की किडनी प्रत्यारोपण की जाती है, जिनमें से करीब 45 फीसद डायलिसिस करवाते हैं और 55 फीसद का किडनी प्रत्यारोपण होता है।

इस शोध में शोधकतार्ओं ने हीट इंडेक्स के साथ एस्ट्राजेनेका द्वारा सीकेडी क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। वे देखना चाहते थे कि क्या बेहद अधिक गर्मी के संपर्क में आने से सीकेडी से पीड़ित मरीजों में गुर्दे की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। इस अध्ययन में 21 देशों के 40,017 लोगों को शामिल किया गया।