टीआरपी छेड़छाड़ मामले में मुंबई पुलिस द्वारा करीब एक महीने पहले गिरफ्तार किए गए रिपब्लिक टीवी के वितरण प्रमुख (एवीपी) घनश्याम सिंह को आखिरकार जमानत मिलने के बाद तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया है। उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद कहा कि यह हमारे लिए बड़ी जीत है। यह हमारे बॉस अर्नब गोस्वामी के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि मुझे अपने बॉस पर भरोसा है। वे भी तलोजा जेल में रहे थे। जेल के लोग भी अर्नब से काफी प्रभावित हैं, क्योंकि वे इस पूरे मामले में लड़ रहे हैं।
घनश्याम ने आगे कहा, “हम पर जो आरोप लगाए गए, उनका कोई मतलब ही नहीं था। हमसे कई तरह के सवाल पूछे गए। पूछा गया कि किसको पैसे दिए। हमसे उस आदमी के बारे में पूछा गया, जिससे मैं कभी मिला नहीं। तलोजा जेल में अधिकारी हमें सपोर्ट कर रहे थे। फिर भी हमें अलग रखा गया। कहा गया कि आप अलग खाना खाएं, अलग रहें।”
बता दें कि घनश्याम सिंह को 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। वह रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क में सहायक उपाध्यक्ष भी हैं। सत्र अदालत ने हंसा रिसर्च एजेंसी के पूर्व कर्मचारी विशाल भंडारी को भी जमानत दे दी, जिसे इस मामले में आठ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। न्यायाधीश डी एस देशमुख ने यह आदेश सुनाया।
क्या है टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला?: रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने कुछ चैनलों द्वारा हंसा के जरिए टीआरपी में छेड़छाड़ को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस मामले की जांच शुरू की थी। बार्क ने नमूना घरों में दर्शकों के आंकड़े दर्ज करने के लिये बैरोमीटर्स लगाने और उनके रखरखाव का काम हंसा को सौंपा था। दर्शक संख्या के आधार पर ही टीआरपी तय की जाती है। टीआरपी की संख्या के आधार पर ही चैनलों का विज्ञापन राजस्व निर्भर करता है। ऐसा आरोप है कि जिन घरों में बैरोमीटर लगा था उनमें से कुछ परिवारों को खास चैनल देखने के लिये रकम दी गई, जिससे उन चैनलों की टीआरपी बढ़ाई जा सके।
बता दें कि पिछले हफ्ते दायर आरोप-पत्र में पुलिस ने आरोप लगाया था कि हंसा में संपर्क प्रबंधक भंडारी ने कुछ नमूना घरों में लोगों को रकम दी और उनसे बॉक्स सिनेमा, फख्त मराठी, महामूवी और रिपब्लिक टीवी देखने को कहा। रिपब्लिक टीवी ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। पुलिस इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।