कॉलेजियम के मसले पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयानों के विरोध में दायर PIL को बांबे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना था कि संवैधानिक अथॉरिटी को ऐसी ही नहीं हटाया जा सकता।
अदालत का ये रुख एडिशनल सॉलीसिटर जनरल की उस टिप्पणी के बाद आया जिसमें उन्होंने कोर्ट में कहा कि उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कभी भी सुप्रीम कोर्ट की आन बान शान पर सवाल खड़े नहीं किए। उन्होंने ये भी कहा कि संविधान का आर्टिकल 26 कहता है कि उप राष्ट्रपति को हटाना हाईकोर्ट के दायरे में नहीं है।
जगदीप धनखड़ का बयान कोर्ट में सुनाया
एएसजी ने धनखड़ के इस आशय में दिए बयान को अदालत में पढ़कर भी सुनाया। उनका कहना था कि उप राष्ट्रपति ने सार्वजनिक मंच पर कहा है कि वो संविधान और संवैधानिक संस्थाओं में पूरा यकीन रखते हैं। उनका कहना था कि याचिका केवल प्रचार के लिए दायर की गई है। इसमें कोरा झूठ लिखा हुआ है।
कानून को मानना हर एक के लिए जरूरी
बांबे हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय वी गंगापुर वाला और जस्टिस संदीप वी की बेंच ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का रुतबा आसमान सरीखा है। सभी को चाहिए कि वो इसका सम्मान करें। कानून को मानना हर एक के लिए जरूरी है। सभी इसका ख्याल रखें।
डबल बेंच का कहना था कि इसे खत्म करना नामुमकिन है। बांबे लायर्स एसोसिएशन ने उप राष्ट्रपति और कानून मंत्री पर एक्शन के लिए हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। इसमें कहा गया था कि दोनों ने संविधान को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट समेत कई संवैधानिक संस्थाओं करो लगातार निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में सख्त तेवर दिखाने की जरूरत है। नहीं तो सुप्रीम कोर्ट की गरिमा पर असर पड़ेगा। याचिका एसोसिएशन के प्रेजीडेंट अहमद अहमद आबिदी ने अपने एडवोकेट एकनाथ डी के जरिये याचिका दाखिल की थी। उनकी मांग थी कि हाईकोर्ट सख्त कदम उठाते हुए धनखड़ और रिजिजू को कुर्सी से हटाए। दोनों की बातों से सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा को ठेस लगी है।