दिव्या गोयल गोपाल
चर्चित पंजाबी लोकगायक एवं रैपर शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला की पंजाब के मानसा में हुई हत्या के दो सप्ताह से भी अधिक समय बीत चुका है, बावजूद इसके मूसेवाला ने सीमा पार भी दिलों में जगह बना रखी थी। दरअसल पाकिस्तान में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं जो वहां अपने ट्रकों, बाइकों, कारों आदि वाहनों पर मूसेवाला की तस्वीर लगाकर उन्हें याद कर रहे हैं।
पाकिस्तान से एक ऐसा वीडियो खूब साझा हो रहा है जिसमें वहां का एक ट्रक चालक वाहन के पीछे लगाई मूसेवाला की बड़ी सी तस्वीर के साथ खड़ा नजर आ रहा है। उस तस्वीर पर बाकायदा ‘29-5’ भी लिखा है जो पंजाबी लोकगायक के दो पहलुओं को उजागर करता है। यानी एक तो उनका बेहद चर्चित ‘295’ एलबम का गीत और पांचवें महीने की वह 29 तारीख, जिस रोज उनकी हत्या कर दी गई। और तो और सिद्धू मूसेवाला ने वर्ष 2022 के खत्म होने से पहले पाकिस्तान के लाहौर और इस्लामाबाद में लाइव शो करने की भी घोषणा कर रखी थी।
वैसे भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ट्रक न सिर्फ माल आदि की ढुलाई का लोकप्रिय साधन हैं, बल्कि बंटवारे के बाद बतौर धरोहर भी खूब चर्चित हैं जिन्हें ‘दुल्हन’ की तरह सजाना-संवारना ट्रक चालकों-मालिकों की सबसे पहली पसंद है।अफगानिस्तान और पाकिस्तान में दरअसल ‘ट्रक कला’ अंतरराष्टÑीय मान्यताप्राप्त कला का मूर्त रूप है।
इस कला के तहत न सिर्फ रंग-बिरंगे अंदाज में खूबसूरती के साथ सजाए गए ट्रक वहां की सड़कों पर दौड़ते नजर आते हैं बल्कि इन ट्रकों के पीछे अलग-अलग रंगों से हाथ से बनाई चर्चित शख्सियतों की तस्वीरें भी खूब पसंद की जाती हैं। लेकिन अब वहां के ट्रकों पर पंजाबी लोकगायक मूसेवाला की तस्वीर लगाना एक बेहद दुर्लभ इसलिए भी वाकया है जब वहां पाकिस्तानी नागरिक अपने ही मुल्क के नायकों और स्थानीय अभिनेताओं/गायकों की ही तस्वीरें लगाना पसंद करते हैं।
वैसे भी पाकिस्तान में यह बात मशहूर है कि यदि किसी की रंग-बिरंगी तस्वीर वहां ट्रकों के पीछे लगाई जाती है तो मतलब वह शख्स वहां के अवाम का बड़ा चहेता है और उनके दिलों में बसता है।अपने गीतों की वजह से मूसेवाला सीमा पार भी बेहद चर्चित थे जिन्हें पाकिस्तान की अवाम खूब प्यार देती थी। पाकिस्तान में रावलपिंडी स्थित एक ऐसे ट्रक कला के चित्रकार के बेटे रिजवान मुगल का कहना है, ‘उनके जमीन से उठकर शख्सियत बनने का अंदाज और जिंदगी में कड़े संघर्ष व मेहनत के दम पर हासिल कामयाबी के बलबूते लिखे जाने वाले उनके गीतों के बोल ही उन्हें अवाम से जोड़ने का काम करते थे।
यहां पंजाबी गीतों को बड़ा पसंद किया जाता है और जो लोग बहुत अच्छे से पंजाबी बोलना-पढ़ना नहीं भी जानते, वह भी उनके गीतों को खूब सुनना पसंद करते हैं, खासकर नौजवान तबका। उनका ‘नित कंट्रोवरसी क्रिएट मिलूगी, धर्मां ते नाम ते डिबेट मिलूगी-सच्च बोलेंगा तां मिलू 295, करेंगा तरक्की पुत्त हेट मिलूगी…’ उनके बेहद चर्चित पंजाबी गीत है।’
