चक्का दाम के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत का अनूठा रूप दिखाई पड़ा। गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे राकेश उन जवानों के आगे नतमस्तक हो गए, जो उनका रास्ता रोकने के लिए तैनात किए गए हैं। राकेश ने हाथ जोड़कर कहा, जय जवान जय किसान। उनका कहना था कि आप सब हमारे भाई हैं।
टिकैत ने कहा कि किसान और जवान देश की रीढ़ हैं। उनका कहना था कि किसान अपने हकों के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो जवान अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। उनका किसी से कोई बैर नहीं है। ये जवान तो उनके अपने भाई हैं। उनकी कर्मनिष्ठा को वह शत-शत नमन करते हैं। टिकैत का कहना था कि किसानों की मांग तो बीजेपी सरकार से है, जिसने तीन काले कानून संसद से पास करके रोटी को तिजोरी में बंद करने की कोशिश की है। उनका कहना था कि अपने हक लिए बगैर किसान दिल्ली सीमा से किसी सूरत में अपने घर नहीं जाएंगे। फिलहाल राकेश किसान आंदोलन की धुरी बन चुके हैं।
किसान परिवार में जन्म लेने वाले राकेश टिकैत कभी पुलिस में नौकरी भी कर चुके हैं। लिहाजा वह दोनों की स्थिति से अच्छी तरह से वाकिफ हैं।
राकेश टिकैत को किसानों का साथ विरासत में मिला है। उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान नेता ही थे। टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश के भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे। किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए भी उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया था। तब उन्हें तिहाड़ भेजा गया था। उस समय राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर ही गन्ना जला दिया था।
राकेश टिकैत एलएलबी हैं। उन्हें 2014 में यूपी की अमरोहा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। इसमें वह हार गए थे। राकेश टिकैत 1992 में पुलिस महकमे में कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। 1993-94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था। जब सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये भी अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे।