लगातार शोर-शराबे से घिरे रहने का असर हमारे शरीर के साथ-साथ मन-मस्तिष्क पर भी पड़ता है। इससे हमारा तनाव बढ़ता है। ऐसे में हम प्रतिदिन कम से कम दस मिनट मौन या चुप रहकर अपने तनाव को कम कर सकते हैं।
ध्यान लगाना खुद को शांत करने और तनाव को घटाना का एक बहुत अच्छा माध्यम है। प्रत्येक धर्म और संस्कृति में शांत या मौन रहने को महत्त्व दिया गया है। इसे कुछ लोग धार्मिक नाम देते हैं या कुछ जीने का एक तरीका मानते हैं। लेकिन दिनभर में कुछ समय तक शांत रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक फायदेमंद साबित होता है।
कई मनौविज्ञानी भी आत्मविश्वास बढ़ाने, एकाग्रता बढ़ाने, मन की शांति और सकारात्म सोच के लिए हर दिन कम से कम दस मिनट मौन रखने या शांत रहने का सुझाव देते हैं। जब हम कुछ समय मौन या चुप रहते हैं तो हमें खुद से बात करने का अवसर मिलता है। इस दौरान हम चिंतन मनन करते हैं, जिससे हमारा मन शांत होता है और मस्तिष्क को विश्राम मिलता है।
इससे हमारे मस्तिष्क को नई ऊर्जा मिलती है। इससे हमारा दिमाग शांत होता है, गुस्सा नियंत्रित रहता है और तनाव बढ़ाने वाले ‘हार्मोंस’ का स्तर घटता है। कुछ समय मौन धारण करने से हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं दोबारा बनती हैं और उनका पुनर्निर्माण हमारे मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाता है। इससे हमारी एकग्रता बढ़ती है और मस्तिष्क तेज होता है।