दिल्ली में सोमवार शाम को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक ट्रैफिक सिग्नल पर धीमी गति से चल रही एक कार में विस्फोट हुआ, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और कई वाहन जलकर नष्ट हो गए। फॉरेंसिक टीम को शुरुआती जांच में पता चला है कि धमाके में अमोनियम नाइट्रेट, ईंधन का तेल और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया। इस घटना पर बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने ऑपरेशन सिंदूर 2.0 पर भी चर्चा की। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जम्मू-कश्मीर में पोस्टेड रह चुके हैं।

सेना के पूर्व अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत की। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसी घटनाएं हमारे सुरक्षा बलों के आत्मविश्वास को हिला देंगी, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा, “सहस्राब्दी के शुरुआती दौर में, हमने 10 वर्षों तक नियमित रूप से इस प्रकार की घटनाएं देखी थीं; वे हमारे आत्मविश्वास को पूरी तरह से हिला देती थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि इस घटना के पीछे के षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। हमारे नेतृत्व ने सबूत सामने आने तक किसी पर उंगली न उठाकर परिपक्वता दिखाई है। मुझे नहीं लगता कि इससे हमारे आत्मविश्वास को कम होना चाहिए। जिस तरह से भारत सरकार ने इस तरह की घटना को संभाला है, उससे लोगों में और अधिक विश्वास पैदा होना चाहिए कि हम उस स्थिति को आने नहीं देंगे जो 90 के दशक या सहस्राब्दी के शुरुआती दौर में थी।”

दिल्ली धमाकों के बाद क्या ऑपरेशन सिंदूर फिर से चलाया जाएगा, इस सवाल पर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा, “मुझे पता है कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 को लेकर काफ़ी चर्चा हुई है। हमारे पास एक परिपक्व नेतृत्व है जो तय करेगा कि राष्ट्रहित में क्या सबसे अच्छा है। हमें तकनीक, ख़ासकर एआई में और ज़्यादा निवेश की ज़रूरत है। इसके साथ ही, नागरिकों की सतर्कता बेहद ज़रूरी है। जिस तरह से घटना के बाद लोग तुरंत मदद के लिए आगे आए, जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की। केंद्रीय गृहमंत्री कुछ ही घंटों में घटनास्थल पर पहुंच गए और उन्होंने ख़ुद भी घटनास्थल का दौरा किया। मुझे लगता है कि इससे हममें काफ़ी आत्मविश्वास पैदा होता है कि हम इस तरह की घटनाओं से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं।”

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दिल्ली ब्लास्ट पर क्या बोले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल?

दिल्ली ब्लास्ट पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ने कहा, “मैं इसे एक घटना कहूंगा क्योंकि अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है, जांच चल रही है और हमें अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए ताकि हम किसी भी तरह से इस पूरी जांच को प्रभावित न करें। यह अतीत के उन भयावह समयों की याद दिलाता है जब हम दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और ऐसी ही जगहों पर ऐसी घटनाएँ होते देखते थे। मुझे आज भी 1993 के मुंबई विस्फोट याद हैं। मुझे सरोजिनी नगर, अक्षरधाम, 13/11 दिल्ली उच्च न्यायालय की घटनाएं याद हैं। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध समाप्त हो गया है, वैश्विक आतंकवादी गतिविधियों में भी उल्लेखनीय कमी आई है लेकिन जम्मू-कश्मीर से नहीं।”

सैयद अता हसनैन ने आगे कहा, “जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या कम हो गई है लेकिन अभी भी ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं का एक पारिस्थितिकी तंत्र है और इस मामले में भी आपने डॉक्टरों, बुद्धिजीवियों को देखा है जो अब जांच के दायरे में हैं। ओवरग्राउंड कार्यकर्ता आतंकवादियों की तरह छिपकर सामान्य जीवन नहीं जी रहे हैं बल्कि आतंकवादी नेटवर्क के लिए काम कर रहे हैं। एनआईए ने 2017-18 तक इस पारिस्थितिकी तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है। इस प्रणाली को निष्प्रभावी करने की आवश्यकता है। कई लोग सहज नहीं हो सकते हैं क्योंकि भारत ‘विकसित भारत’ बनने का लक्ष्य बना रहा है। बहुत से विरोधी चाहेंगे कि भारत की प्रगति बाधित हो, यह इस तरह की कोशिश करने की शुरुआत हो सकती है।”

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