Salman rushdie Attack: लेखक सलमान रुश्दी पर बीते 12 अगस्त को अमेरिका के न्यूयॉर्क में जानलेवा हमला हुआ था। हालांकि अब उनकी सेहत में सुधार देखा जा रहा है। वे लोगों से बात कर पा रहे हैं। वहीं इस हमले में उनकी एक आंख और लिवर को नुकसान पहुंचा है। वहीं इस हमले पर भारत सरकार या फिर भारत के राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध रखी है।
प्रतिबंध पर की थी राजीव गांधी सरकार की आलोचना:
दरअसल 1988 में जब सलमान रुश्दी की किताब ‘सैटेनिक वर्सेज’ को लेकर भारत में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था तो भाजपा ने उस दौरान मुस्लिम समुदाय के तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए आलोचना की थी। इसके अलावा द सैटेनिक वर्सेज विवाद के बाद पहली बार फरवरी 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने रुश्दी को भारत यात्रा के लिए वीजा जारी किया था।
रुश्दी और उनसे जुड़े विवादों के प्रति भाजपा का जो रवैया रहा, उसे देखते हुए उनके ऊपर हुए ताजा हमले पर भाजपा की चुप्पी एक नया रूप है। जबकि रुश्दी पर हमले पर भाजपा से प्रतिक्रिया की उम्मीद थी। लेकिन पार्टी नेता रिकॉर्ड में कुछ कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि परिस्थितियां अब बदल गई हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पार्टी ने ऐसे मामलों को लेकर सोच-समझकर फैसला किया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रभाव वाले किसी भी घटना पर टिप्पणी करने से पार्टी नेता परहेज करें। दरअसल हाल ही में पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के बयानों के बाद रुश्दी पर हमले को लेकर मोदी सरकार के आलोचकों की मिली जुली प्रतिक्रियाएं होने से पार्टी के लिए स्थिति जटिल हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी नहीं:
मोदी सरकार के एक पूर्व मंत्री ने बताया कि पार्टी ने 2014 से अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है। भाजपा के सत्ता में होने के नाते भाजपा उन मुद्दों पर टिप्पणी नहीं कर सकती जो सरकार को असहज स्थिति में पहुंचा दें। दरअसल विदेश में अपनी छवि को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बहुत सतर्क रहते हैं। इसके साथ ही पार्टी में एक सख्त संदेश गया है कि ऐसा कुछ भी न करें जिसपर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित हो और उन्हें या उनकी सरकार को “शर्मिंदा” होना पड़े।
उदाहरण के लिए पूर्व मंत्री ने बताया कि भाजपा और आरएसएस के कई लोग ताइवान के पास चीनी सैन्य अभ्यास पर टिप्पणी करने के इच्छुक थे। अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद उस क्षेत्र में नाजुक हालात को देखते हुए भारत सरकार ने मौन रखा है।
विदेश मंत्री ने हमले पर क्या कहा:
वैसे भाजपा रुश्दी पर हमले पर प्रतिक्रिया देने के नाम पर विदेश मंत्री के आधिकारिक बयान का हवाला दे रही है। इस मामले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले हफ्ते बेंगलुरू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “इस बारे में मैंने भी पढ़ा है। मेरा मानना है कि इस घटना पर पूरी दुनिया ने नोटिस लिया है और ज़ाहिर है इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।” यही बात भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी कही है।
रुश्दी पर हमले पर खामोशी का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान दिए जाने के बाद जिस तरह से खाड़ी और कई इस्लामी देशों ने अपना विरोध दर्ज कराया था, उस माहौल से सरकार बचना चाहती है। उस दौरान भाजपा ने शर्मा के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की थी और शर्मा को निष्कासित भी कर दिया था।
रुश्दी मोदी और भाजपा के आलोचक भी:
रुश्दी पर हमले को लेकर भारत सरकार का जो भी स्टैंड हो लेकिन लेखक रुश्दी मोदी और भाजपा के घोर आलोचक भी रहे हैं। रुश्दी पीएम मोदी को अत्यधिक विभाजनकारी शख्स और कट्टरपंथी का कट्टर बता चुके हैं। रुश्दी ने भाजपा शासन के तहत अभिव्यक्ति की आजादी पर भी चिंता व्यक्त की है।