केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी RCP सिंह को जनता दल यू ने इस बार राज्य सभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया है। उनका कार्यकाल पूरा होने पर रिक्त हो रही सीट से झारखंड जदयू के अध्यक्ष खीरू महतो को जदयू ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। एक वक्त नीतीश कुमार के सबसे अधिक करीबी रहे आरसीपी सिंह आज हाशिए पर हैं।
हालांकि, उनको टिकट नहीं देने का फैसला भी मुख्यमंत्री ने ही लिया। जदयू नेताओं ने इस मसले पर फैसला लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया था। लेकिन इतिहास देखा जाए तो ये पहली बार नहीं है कि किसी नेता को नीतीश ने उसकी जगह दिखाई है। ऐसे बहुत से नाम पहले भी रहे हैं, जो कभी नीतीश के करीबी थे पर फिर उन्हें हैसियत बताई गई।
कभी जॉर्ज फर्नांडिस उस पार्टी के संस्थापक थे, जिसके आज नीतीश कुमार मुखिया हैं। जॉर्ज फर्नांडिस मुजफ्फरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी थे। नीतीश कुमार को सक्रिय राजनीति में लाने वाले वो ही थे। लेकिन जब दोनों के बीच तल्खी बढ़ी तो 2007 में नीतीश कुमार ने फर्नांडिस को उनकी हैसियत बता दी। उनको पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। शरद यादव जेडीयू अध्यक्ष बनाए गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जॉर्ज का टिकट उनकी सीट नालंदा से काट लिया गया। उन्होंने मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ा पर हार गए।
शरद यादव कभी नीतीश के बगलगीर रहे थे पर महागठबंधन के साथ 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार बाद में बीजेपी के साथ चले गए। शरद यादव ने नीतीश कुमार के इस फैसले का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया था। लेकिन नीतीश ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी और 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था। इसी के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे। वो मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
नीतीश ने इसी तरह से उपेंद्र कुशवाहा और दिग्विजय सिंह को उनकी जगह दिखाई। कुशवाहा ने तेवर दिखाए तो 2007 में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 2009 में जेडीयू में फिर से लौटे पर 2013 में अलग होकर अपनी पार्टी बना ली। अब वो फिर से नीतीश के साथ हैं। उधर, दिग्विजय सिंह को जॉर्ज फर्नांडिस का करीबी माना जाता था। वो बांका से चुनाव लड़ते थे पर नीतीश से बिगड़ी तो 2009 में टिकट ही कट गया। ललन सिंह को भी नीतीश ने किनारे लगा दिया था।