देश का केन्द्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपने गठन के 80 साल बाद अपनी एक पुरानी परंपरा को बदलने जा रहा है। दरअसल रिजर्व बैंक ने शनिवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसके तहत अब वह जून-जुलाई के बजाय वित्तीय वर्ष अप्रैल-मार्च को फॉलो करेगा। रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ने साल 2020-21 से अपने वित्तीय वर्ष को केन्द्र सरकार के वित्तीय वर्ष के साथ समारेखित करने के उद्देश्य से यह बदलाव किया है।

रिजर्व बैंक ने यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा है। इकोनॉमिक फ्रेमवर्क कैपिटल के तहत विमल जालान पैनल ने कुछ सुझाव दिए थे, इन्हीं सुझावों में से एक सुझाव बैंक के वित्तीय वर्ष को जून-जुलाई से हटाकर अप्रैल मार्च करने की भी सलाह दी गई थी।

आरबीआई का मौजूदा वित्तीय वर्ष 30 जून को समाप्त हो रहा है।वित्तीय वर्ष 2020-21 का वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से शुरू होकर 9 माह बाद ही 31 मार्च 2021 को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद जो अगला वित्तीय वर्ष शुरू होगा, वो हर साल एक अप्रैल से शुरू होगा, ताकि सरकार के वित्तीय वर्ष के साथ मिलान हो सके।

आरबीआई बोर्ड की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार और व्यय सचिव टीवी सोमनाथन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आगामी वित्त वर्ष के बजट में किए गए प्रस्तावों का बहुत अधिक असर महंगाई पर नहीं पड़ेगा। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि सरकार ने बहुत हद तक राजकोषीय घाटे को रोडमैप के हिसाब से बजट पेश किया है।