हजारों करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुजरात की कंपनी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने मनीलांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई करते हुए वडोदरा की कंपनी डायमंड पॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीपीआईएल) की 1,122 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। आरबीआई ने कंपनी को डिफॉल्टरों की सूची में डाल रखा था, इसके बावजूद उसे कर्ज मिलता रहा। गुजरात की कंपनी और इसके निदेशकों पर 11 बैंकों को 2,654 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। सीबीआई ने मार्च में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें कंपनी के साथ ही प्रमोटर एसएन. भटनागर और उनके बेटों अमित भटनागर (प्रबंध निदेशक) और सुमित भटनागर (संयुक्त निदेशक) को भी आरोपी बनाया गया है। डीपीआईएल केबल के साथ ही बिजली से जुड़े और उपकरण का उत्पादन करती है। कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया, ‘एजेंसी ने कंपनी और इसके निदेशकों की संपत्ति जब्त कर ली है। इनसे जुड़ी अन्य संपत्तियों का पता लगाया जा रहा है, ताकि कार्रवाई की जा सके।’ डीपीआईएल के आरोपी निदेशक फरार हैं। सीबीआई उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर चुकी है।
फर्जी तरीके से लिया लोन: सीबीआई ने कंपनी पर फर्जी तरीके से लोन लेने का आरोप लगाया है। जांच एजेंसी के अनुसार, डीपीआईएल वर्ष 2008 से ही गलत तरीके से 11 सरकारी और निजी बैंकों के कंसोर्टियम से लोन ले रही थी। आरबीआई द्वारा डिफॉल्टर की सूची में डाले जाने के बाद कंपनी को टर्म लोन और क्रेडिट की सुविधाएं दी गई थीं। एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ईसीजीसी) ने भी गुजरात की कंपनी को कॉशन लिस्ट में डाल रखा था। वर्ष 2008 में कंसोर्टियम का गठन किया गया था। एक्सिस बैंक टर्म लोन और बैंक ऑफ इंडिया कैश क्रेडिट लिमिट तय करने की अगुआई कर रहे थे।
बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था टर्नओवर: डीपीआईएल ने कथित तौर पर अनुमानित टर्नओवर को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। कंपनी का यह अनुमान कभी सच साबित नहीं हो सका था। सीबीआई का आरोप है कि टर्नओवर के आंकड़े जमीन पर न उतरने के बावजूद बैंक ऑफ इंडिया ने कैश क्रेडिट लिमिटेड को कम नहीं किया था। डीपीआईएल ने ज्यादा क्रेडिट हासिल करने के लिए स्टॉक के गलत रिकॉर्ड भी पेश किए थे।

