दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार को गंभीर बीमारियों के लिए अलग से फंड निकालना होगा। इस पैसे से उन मरीजों का इलाज होगा जिन्हें दुर्लभ बीमारियां हैं, जिनके पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है। इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है कि क्योंकि आज भी कई ऐसी बीमारियां हैं जिनका एक इंजेक्शन के ही लाखों का आता है, ऐसे में हर कोई उसे खरीद नहीं सकता।

कोर्ट को क्यों याद आया 10 साल पुराना मामला

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मजबूरी को समझ लिया है, इसी वजह से केंद्र से कहा गया है कि 974 करोड़ का अलग से कॉरपस इन बीमारियों के लिए निकाला जाए। इस पैसे हर मरीज को इलाज मिलेगा जो अभी पैसों की तंगी की वजह से ना दवाइयां खरीद पा रहा है और ना ही उसे जरूरी थेरेपी मिल पा रही है। बड़ी बात यह रही कि इस फैसले को सुनाते वक्त कोर्ट को अपना ही एक 10 साल पुराना मामला भी याद आ गया।

मोहम्मद अहमद का केस क्या है?

असल में आज से ठीक 10 साल पहले मोहम्मद अहमद नाम के बच्चे को भी एक गंभीर बीमारी थी, वो Gaucher से ग्रसित था। उस बीमारी का कोई इलाज नहीं, कोई दवाई नहीं, सिर्फ एक थेरेपी थी जो बचाकर रख सकती थी। उस परिवार को अपने बच्चे का इलाज करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। एक थेरेपी का पैसा तो तब की दिल्ली सरकार से मिल गया था, लेकिन जिस थेरेपी की जरूरत हमेशा के लिए थी, उसके लिए लगातार मदद मिलना जरूरी था।

गरीबों की कैसे होगी मदद?

कोर्ट ने भी तब इस बात को समझा था और दिल्ली एम्स को कहा गया था कि इस बच्चे को जब भी विशेष थेरेपी की जरूरत पड़ेगी, उसका फ्री में ही इलाज किया जाएगा। अब इतने सालों बाद भी मोहम्मद अहमद को एम्स में फ्री में इलाज मिल रहा है। कोर्ट ने भी इसी मामले को याद कर सभी ऐसे लोगों की मदद करने के लिए कहा है जो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं।