हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए जून में गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। इस ऐलान से हुआ यह कि नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री पद के लिए एक प्रभावी उम्मीदवार माने गए। जबकि आमतौर पर बीजेपी कभी चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित नहीं करती है। गौर करने की बात यह है कि नायब सिंह सैनी को लेकर जारी ऐसी चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की ओर से उन्हें सीएम उम्मीदवार कहने का सिलसिला नहीं रुका। बीजेपी आलाकमान ने भी ऐसे नारे लगाने और ऐसी बातें करने वाले राव समर्थकों को कभी नहीं टोका।
‘सीएम बनने का सपना मेरा नहीं, जनता का है’
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस दौरान रेवाड़ी में एक बयान दिया और कहा, “यह सीएम बनने का सपना मेरी नहीं बल्कि जनता की इच्छा है। यह अभी भी जनता की इच्छा है कि मैं सीएम बनूं, अगर दक्षिण हरियाणा ने 2014 और 2019 में भाजपा का समर्थन नहीं किया होता, तो मनोहर लाल खट्टर दो बार सीएम नहीं बन पाते।”
राव इंद्रजीत की ओर से दिए गए बयान के साथ-साथ अपनी ताकत का प्रदर्शन पार्टी को यह दिखाने की कोशिश है कि वह पार्टी के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। उनके समर्थकों का यह भी मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल होने के बाद से उन्हें कई बार नजरअंदाज किया गया है। वह सीएम की दौड़ में मनोहर लाल खट्टर से पिछड़ गए थे। उन्हें 2019 में भी नजरअंदाज किया गया, बात तब ज़्यादा चर्चा में आई जब जब पार्टी ने इस मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया। जून में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद खट्टर को केंद्रीय मंत्रिमंडल जगह मिली जबकि राव इंद्रजीत केंद्रीय राज्य मंत्री बने रहे।
सीएम बनने को लेकर पहले भी दे चुके हैं बयान
एक साल पहले एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे क्षेत्र (दक्षिण हरियाणा) में लोगों ने मुख्यमंत्री बनाए और तोड़े हैं। 2014 में अगर हमारे लोग एकजुट नहीं होते तो भाजपा सत्ता में नहीं आती। हमारे लोगों ने विरोध किया कि खट्टर के साथ खड़ा होना गलत है, लेकिन किसी ने नहीं सुना और उन्हें सीएम बना दिया। मैं सीएम बनने की महत्वाकांक्षा रखता था और लोगों की भी यही भावना थी। जब सरकार बनी तो लोगों को लगा कि उनका नेता नहीं चुना गया। लेकिन यह पार्टी का फैसला था और हमें उसका पालन करना था।”
राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों का दावा है कि गुरुग्राम क्षेत्र में कम से कम 22 विधानसभा क्षेत्रों में उनका प्रभाव है। सिंह के समर्थकों का दावा है कि पार्टी ने उनकी सिफारिश पर क्षेत्र में कम से कम आठ उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इन सीटों के अलावा राव के करीबी सहयोगी धर्मबीर सिंह, जो भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद हैं, ने कहा कि उनके क्षेत्र से चार से पांच टिकट केंद्रीय मंत्री के कोटे के हिस्से के रूप में देखे जाने चाहिए। जबकि पांच साल पहले पार्टी ने सिंह की बेटी आरती राव को मैदान में उतारने से इनकार कर दिया था, इस बार वह अटेली से चुनाव लड़ रही हैं जो भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट का हिस्सा है।
हालांकि राव इंद्रजीत सिंह ने खुद सैनी को चुनावी चेहरा बनाने के पार्टी नेतृत्व के फैसले को स्वीकार किया है, लेकिन उनके समर्थकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है।