हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा तीसरी बार सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। इस बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक दी है। उनका कहना है कि जनता चाहती है कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बनें। राव के इस एलान के बाद प्रदेश भाजपा में नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के नामांकन के दौरान कहा था कि हरियाणा में सत्ता की कुर्सी का रास्ता दक्षिण हरियाणा से होकर गुजरता है। जनता आज भी चाहती है कि वह मुख्यमंत्री बनें। अगर यहां (अहीरवाल क्षेत्र) की जनता ने भाजपा का कभी साथ न दिया होता, तो मनोहर लाल खट्टर दो बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाते।
राव की इस मंशा ने भले ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी या फिर भाजपा के दूसरे नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी हो, लेकिन भाजपा के लिए दक्षिण हरियाणा के सियासी समीकरण को साधने का एक मौका दिख रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2014 के चुनाव में दक्षिण हरियाणा से रामबिलास शर्मा व राव इंद्रजीत सिंह समेत कुछ अन्य नेताओं को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रचारित किया गया था। इस फार्मूले को भाजपा कई राज्यों में आजमा चुकी है।
नायब सैनी जीटी बेल्ट से आते हैं
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तरह राव इंद्रजीत सिंह भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं। नायब सैनी हरियाणा के जीटी बेल्ट से हैं तो केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत दक्षिण हरियाणा से हैं। ये दोनों ही इलाके भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाते हैं। हालांकि, 2019 में जीटी बेल्ट वाले क्षेत्र में भाजपा का 2014 की तरह से कमल नहीं खिल सका था, जबकि दक्षिण हरियाणा वाले इलाके में वह अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब रही है। इस वजह से राव इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि हरियाणा में सत्ता का रास्ता दक्षिण हरियाणा से होकर गुजरता है।
राव इंद्रजीत सिंह यादव समुदाय से आते हैं, जिसकी संख्या प्रदेश में सैनी समाज से थोड़ी ज्यादा है। हरियाणा में यादव मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 12 फीसद है। राव इंद्रजीत हरियाणा में यादव समुदाय और अहीरवाल क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते हैं।
राव इंद्रजीत की भूमिका इसलिए है अहम
अहीरवाल ने वर्ष 2014 और 2019 में भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस वजह से भाजपा नेतृत्व उन्हें खास महत्त्व देता है। भाजपा की इस बार की उम्मीदवारों की सूचियों में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का दबदबा देखा जा सकता है। वह अपनी बेटी समेत कई करीबियों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। राव इंद्रजीत को सियासत अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह से विरासत में मिली है। बीरेंद्र सिंह ओबीसी समुदाय के हरियाणा में पहले मुख्यमंत्री थे। भाजपा की इस वोट बैंक पर खास नजर है। इसी वजह से इंद्रजीत ने भी खुद को मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश किया है।
पिछले दो चुनावों में भाजपा की सरकार बनने में दक्षिण हरियाणा की अहम भूमिका रही है। इस क्षेत्र में गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल और फरीदाबाद जिले आते हैं। इन जिलों में कुल 23 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें से 2019 के चुनाव में भाजपा ने 15, कांग्रेस ने छह और दो सीटें अन्य ने जीती थीं। वर्ष 2014 के चुनाव में इस इलाके की 14 सीटें भाजपा को मिली थी, तो कांग्रेस को चार सीटें आई थीं। इसके अलावा चार इनेलो और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। कांग्रेस को दो सीटों का फायदा हुआ था, तो भाजपा को भी एक सीट का लाभ मिला था। वर्ष 2019 में भाजपा का प्रदर्शन दक्षिण हरियाणा में दूसरे इलाकों से बेहतर रहा था।
