बॉम्बे हाईकोर्ट ने चोरी के कई मामलों में वांछित जोगिंदर राणा के साथ 2018 में हुई पुलिस की मुठभेड़ की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने मंगलवार को कहा कि ठाणे पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में एसआईटी का गठन होगा। चार सप्ताह के अंदर एक रिपोर्ट पेश की जाएगी।
हाईकोर्ट ने जोगिंदर राणा के भाई सुरेंद्र राणा की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया। याचिका में दावा किया गया है कि पालघर जिले के नालासोपारा में क्राइम ब्रांच के अफसर मनोज सकपाल और हेड कांस्टेबल मंगेश चव्हाण ने फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया था। सुरेंद्र राणा के वकील दत्ता माने ने अदालत को बताया कि घटना के दौरान और उसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने तस्वीरें लेकर वीडियो भी बनाए थे। उनको देखकर पता चलता है कि पुलिस ने राणा को फर्जी मुठभेड़ में मारा था।
पालघर के एसपी ने हलफनामे में कहा- राणा ने पहले किया था पुलिस पर हमला
एडवोकेट माने ने कहा कि सुरेंद्र राणा ने महाराष्ट्र सरकार के साथ साथ पुलिस महानिदेशक और पालघर में पुलिस अधीक्षक समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष कई दरख्वास्त देकर केस दर्ज करने की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। फिर वो कोर्ट आए हैं।
पालघर के पुलिस अधीक्षक ने इससे पूर्व की सुनवाई के दौरान एक हलफनामा दायर कर कहा था कि जोगिंदर राणा ने पहले पुलिस पर हमला किया था। हलफनामे के अनुसार 23 जुलाई 2018 को चव्हाण और सकपाल जब थाने से आ रहे थे तब उन्होंने जोगिंदर को देखा था। जब दोनों ने जोगिंदर को रोककर पूछताछ की तो उसने चाकू निकाल कर उन पर हमला किया।
जवाबी कार्रवाई में चव्हाण ने जोगिंदर पर दो गोलियां चलाईं। वो जख्मी हो गया था। पुलिस ने बताया कि चव्हाण और सकपाल को नालासोपारा के तुलिंज में एक सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था।