उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में आजम खान ने इस सीट पर कब्जा जमाया था। ऐसे में यह उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। दरअसल इस सीट पर सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। सपा ने आजम खान के करीबी आसिम राजा को टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने कभी आजम खान के करीबी रहे घनश्याम लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

बता दें कि 23 जून को रामपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों और विकास कार्यों पर निर्भर है। लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के इस गढ़ में भाजपा के लिए राह आसान नहीं मानी जा रही। हालांकि रामपुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक ने भी उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी का समर्थन किया है।

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को विश्वास है कि आजम खान 64 साल के असीम राजा की जीत सुनिश्चित करेंगे। वो 45 साल से उनके साथ हैं। गौरतलब है रामपुर में मुस्लिम वोटर किसी प्रत्याशी की जीत-हार तय करने में अहम माने जाते हैं। पिछले चुनाव परिणामों को देखते हुए आजम का समर्थन इस उपचुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।

पार्टी नेता ने कहा कि रामपुर में वोट उसी तरफ जाते हैं, जिस तरफ आजम खान होते हैं। मीडिया में उनके और अखिलेश यादव के बीच अनबन की कुछ अटकलों के बाद भी अब यह साफ हो गया है कि आजम अभी भी पक्के समाजवादी हैं और यही आसिम राजा की जीत के लिए काफी है। सपा नेता का कहना है कि दो साल से अधिक समय तक आजम खान जेल में बंद रहे पर मुस्लिम आबादी में आज भी आजम के प्रति सहानुभूति है। लोग आजम को वोट देंगे, उम्मीदवार चाहे कोई भी हो।

वहीं रामपुर की स्थिति के बीच भाजपा का मानना है कि घनश्याम लोधी जो सपा के पूर्व एमएलसी भी रहे वो सपा प्रत्याशी असीम राजा को कड़ी टक्कर देंगे। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भाजपा के एक नेता ने कहा, “रामपुर लोकसभा क्षेत्र में लोधी समुदाय की एक बड़ी संख्या है। जिनका समर्थन हमारे उम्मीदवार को मिलेगा। इसके अलावा हमें अन्य हिंदू समुदाय के भी वोटों मिलेंगे। इसमें मुस्लिम समुदाय के वोटों का कुछ भाग हमें मिलेगा। जिससे हमें जीत का भरोसा है।”

भाजपा नेता आकाश सक्सेना का कहना है कि लोग आजम खान के रामपुर से चुनाव लड़ने से “तंग” हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘सपा आजम के परिवार से ही उम्मीदवार उतारती है और यह स्पष्ट है कि इस बार भी ऐसा ही हुआ है। असीम राजा उनके कोर ग्रुप का हिस्सा हैं और उनके परिवार की तरह ही हैं।’

रामपुर सीट पर वोट का समीकरण: गौरतलब है कि रामपुर में मुसलमानों की संख्या लगभग 8.5 लाख है। उसके बाद लगभग 8.3 लाख हिंदू हैं, जिनमें लगभग 1.5 लाख दलित, ओबीसी समूह जैसे लोदी 1.25 लाख, कुर्मी 75,000, सैनी 80,000, पाल समुदाय के 38,000 और यादव 45,000 और उच्च जातियां शामिल हैं।

बीते लोकसभा चुनाव(2019) में आजम खान को 52.71 प्रतिशत वोट मिले थे। उनके सामने भाजपा की जया प्रदा उम्मीदवार थी। उन्हें 42.34 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं बीते फरवरी-मार्च में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने रामपुर में तीन और भाजपा ने दो विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की। यहां भी सपा का पलड़ा भारी नजर आया।

बता दें कि भाजपा भले ही रामपुर सीट पर नजर गड़ाये बैठी है लेकिन यहा आजम खान परिवार का जिस तरह से दबदबा माना जाता है, उससे पार पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में आजम खान के गढ़ रामपुर को फतह करने के लिए भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।