Ramnath Goenka Lecture: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान में कई बड़ी बातें कहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन-आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। उन्होंने कहा कि रामनाथ जी ने एक विजनरी के रूप में, एक Institutional build-up के रूप में, नेशनलिस्ट के रूप में, और एक मीडिया लीडर के रूप में इंडियन एक्सप्रेस ग्रूप को सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक मिशन के रूप में भारत के लोगों के बीच स्थापित किया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया। हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा। उनके बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे, और अधीरता नेगेटिव सेंस में नहीं, बल्कि पॉजिटिव सेंस में। वो अधीरता, जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता, जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही आज का भारत विकसित होने के लिए अधीर है। भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इंडियन एक्सप्रेस के मंच से मैं कह सकता हूं भारत सिर्फ एक emerging market ही नहीं है, भारत सिर्फ़ एक भारत एक emerging model भी है।आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रही है।
बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए हैं, वो आपको याद ही होंगे। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। पीएम मोदी ने कहा कि इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्नआउट रहा है। महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों से लगभग 9 प्रतिशत अधिक रहा है। ये भी लोकतंत्र की विजय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग अलग दलों की सरकारें हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए- विकास, विकास और सिर्फ विकास। बिहार की नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी एस्पिरेशन कितनी ज्यादा है। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं जो नेक नियत से लोगों के उन एस्पिरेशन को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, करेल, बंगाल, जम्मू-कश्मीर… ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपनी खून से भी भाजपा की जड़ों की सींचा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता है, बल्कि वो जनता के दिल जीतने के लिए वे सेवा भाव से निरंतर काम करते हैं।
विकास का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए बहुत जरूर होता है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित, पीड़ित, शोषित… सभी तक। उन्होंने कहा कि जब सभी तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है, लेकिन हमने देखा है कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे आज संतोष है कि देश सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है।
कांग्रेस पर हमलावर होते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोषती रही है। सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों और जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद के जड़ों को खाद पानी दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन-नक्सली माओवादी पैर जमा चुके थे, अब वो कांग्रेस मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस बना चुके हैं। आज मैं पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस आज देश के लिए बहुत बड़ी खतरा बनते जा रही है।
यह व्याख्यान, एक्सप्रेस ग्रुप के संस्थापक रामनाथ गोयनका के नाम पर स्थापित है और ऐसे वक्ताओं को आमंत्रित करता है जिन्होंने बदलाव को दिशा दी है। इस मौके पर एक्सप्रेस ग्रुप के चेयरमैन विवेक गोयनका ने कहा कि यह व्याख्यान कोई समारोह नहीं, बल्कि सच बोलने, जवाबदेही और विचारों की ताकत के मूल्यों के प्रति एक प्रतिबद्धता है।
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एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष विवेक गोयनका ने कहा, “यह वह समय है जब दुनिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है, जब देश अपनी भूमिका और उद्देश्य को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं, और जब अनिश्चितता और अस्थिरता हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण शब्द बन चुके हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च निर्वाचित पद का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री को सुनना और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।”
विवेक गोयनका ने कहा, “दैनिक साहसपूर्ण कार्यों से लोकतंत्र जीवित रहता है। 75वें वर्ष में, हमें याद दिलाया जा रहा है कि लोकतंत्र उन नेताओं के दैनिक साहसपूर्ण कार्यों से जीवित रहता है जो सुनते हैं, पत्रकार जो दृढ़ रहते हैं और पाठक जो परवाह करते हैं।”
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