कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के मौके पर कई तरह के रंग देखने को मिले। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी उनकी बात करते हुए भावुक हो गए तो रामदास अठावले की बात सुनकर राज्यसभा ठहाकों से गूंज गई। आठवले ने उन्हें पाला बदलने तक का ऑफर दे डाला। चिरपरिचित कविता वाले अंदाज में उन्होंने गुलाम नबी से कहा कि आपको सदन में फिर से वापस आना चाहिए। अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती तो हम इसके लिए तैयार हैं।

विदाई भाषण में गुलाम नबी आजाद ने कहा, मैं जहां भी गया मुझे बहुत प्यार मिला। उन्होंने कहा, मैं उन खुशकिस्मतों में से हूं जो पाकिस्तान नहीं गए। मुझे सौभाग्य मिला कि लोगों ने पसंद किया। गुलाम नबी आज़ाद ने इंदिरा गांधी को भी धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी वजह से ही काम करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे लोगों को यह मौका मिला होगा जिन्होंने अपनी उम्र से दोगुने के नेताओं के साथ काम किया।’

आजाद ने कहा, मैं दुआ करता हूं कि आतंकवाद खत्म हो जाए। जम्मू कश्मीर के सीएम रहते हुए आतंकी घटना का जिक्र करते हुए आजाद भी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, आतंकी घटना के बाद जब मैं एयरपोर्ट पहुंचा तो जिन बच्चों के परिवार के लोग मर गए थे वे रोते-रोते मेरी टांगों से लिपट गए। मैं कैसे जवाब दूं उन बहनों को जो यहां सैर के लिए आए थे और मैं उनकी लाशें देख रहा हूं। यह भावुक होने वाली बात थी।

उन्होंने कहा, आज हम ईश्वर से यही दुआ करते हैं कि इस देश से मिलिटेंसी खत्म हो जाए। आतंकवाद खत्म हो जाए। हजारों हमारे सेना के लोग जवान मारे गए। बहुत सारे नागरिक मारे गए। हजारों बेटियां और माएं आज बेवा हैं। शायद उनमें से कइयों के पति मिलिटेंट होंगे या फायरिंग में मारे गए होंगे। यह मिलिटेंसी जब खत्म हो जाएगी तो उनके बच्चों को भी रोजगार मिलेगा। सरकार और विरक्ष को इसके लिए प्रयास करना है।