यह बात 1989 की है जब बीजेपी के गठन को 9 साल हो चुके थे, जगह हिमाचल प्रदेश का पालमपुर था और यहां पहली बार भाजपा ने औपचारिक रूप से वीएचपी की राम मंदिर की मांग का समर्थन किया था। यह वो वक्त था जब आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे। जब समर्थन का ऐलान हुआ जसवंत सिंह बैठक छोड़ कर चले गए।

आरएसएस से जुड़े साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गनाइजर के पूर्व संपादक शेषाद्री चारी  द इंडियन एक्सप्रेस को बताते हैं कि पालमपुर के इस सत्र में जो कुछ हुआ वो BJP की सियासत में एक बड़ा मोड़ था। यहां गांधीवाद की विचारधारा से एक घुमाव हिन्दुत्व की ओर मुड़ा और दो रास्ते बनते दिखाई दिए। लगभग इसी समय आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण नेता के तौर पर उभरे।

अब लोकसभा चुनाव नजदीक है, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सियासी दलों ने आम चुनाव के इस दंगल में उतरने की रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया है। जहां कांग्रेस ने संगठन में बदलाव किए हैं वहीं बीजेपी के टॉप नेता लगातार बैठकें कर आने वाले कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने के प्रयास कर रही है।

इससे पहले पीएम मोदी अयोध्या एयरपोर्ट का उद्घाटन भी करने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी राम मंदिर से जुड़े इस कार्यक्रम को लोकसभा चुनाव में अपने प्रचार का आधार बनाने की पूरी कोशिश करेगी, बीजेपी ने गांव गांव रामोत्सव कार्यक्रम की योजना भी बनाई है और यह माहौल बनाने का इरादा किया है कि सालों पहले पार्टी ने जो वादा किया था उसे निभाया है।

क्या है बीजेपी का प्लान?

अगले महीने होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में राम मंदिर ट्रस्ट ने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों, सभी राष्ट्रीय पार्टी प्रमुखों, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी, दलाई लामा और फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, मधुरी दीक्षित को आमंत्रित किया है। सियासी तौर यह माना जा रहा है कि बीजेपी को लगता है कि यह कार्यक्रम पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव की लड़ाई में एक अहम कड़ी साबित होगा, धारा 370 हटाए जाने और राम मंदिर बनाए जाने के दोनों मुद्दों को बीजेपी के बहुत पुराने वादों के तौर पर देखा जाता है, पार्टी अपने प्रचार में खासतौर पर यह कहेगी कि हमने वादे पूरे कर दिए हैं।

RSS और VHP भी हैं एक्टिव

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस ने 22 जनवरी यानी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दिन देशभर की अपनी 45 इकाइयों से एक हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं को घर घर पहुंच कर यह संदेश देने के लिए कहा है कि वह अपने पास के मंदिर में जाएं और अयोध्या के कार्यक्रम से जुड़ाव महसूस करें। आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और राम मंदिर ट्रस्ट ने कई साझा बैठकें कर चुका है। इस तरह की बैठकों का आयोजन काशी, अवध, ब्रज, मेरठ और उत्तराखंड प्रंत में किया गया था। कार्यक्रम के बाद अलग-अलग प्रान्तों के आरएसएस कार्यकर्ताओं को भी मंदिर के दर्शन करने का मौका दिया जाएगा। काशी क्षेत्र के लगभग 25,000 स्वयंसेवकों को 30 जनवरी को अयोध्या का दौरा करने के लिए तैयार किया गया है।