इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने वाला है। उस कार्यक्रम को लेकर तैयारियां सारी कर ली गई हैं, हजारों लोगों को निमंत्रण भी गया है। इसी लिस्ट में कांग्रेस के कुछ बड़े नेता भी शामिल हैं जिसमें सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को न्योता मिला है। बड़ी बात ये है कि किसी भी कांग्रेस नेता ने अभी तक इस कार्यक्रम में जाने को लेकर अपनी सहमति नहीं दी है। अब महराष्ट्र से उद्धव गुट की तरफ से देश की सबसे पुरानी पार्टी को एक खास संदेश दिया गया है।

असल में अपने मुखपत्र सामना में उद्धव गुट ने दो टूक कहा है कि अगर कांग्रेस को राम मंदिर कार्यक्रम में जाने का मौका मिला है, तो उन्हें जरूर जाना चाहिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेख में यहां तक कहा गया है कि जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, नरसिम्हा राव पीएम थे। अगर बीजेपी के पीएम होते तो वो मस्जिद नहीं गिर सकती थी। इसके बाद लेख में स्पष्ट कहा गया है कि कांग्रेस की आत्मा तो हिंदू है और इसमें छुपाने वाली कोई बात नहीं।

अब जानकारी के लिए बता दें कि उद्धव गुट इस समय महा विकास अघाड़ी का भी हिस्सा है और 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर उसने इंडिया गठबंधन के साथ भी खुद को रखा है। इसी वजह से कांग्रेस अगर राम मंदिर के कार्यक्रम में शिरकत करती है तो इसका प्रभाव बड़े स्तर पर पड़ने वाला है।

वैसे इस बार अयोध्या में क्योंकि इतना भव्य आयोजन होने जा रहा है, ऐसे में सुरक्षा को लेकर भी कड़े इंतजाम हुए हैं। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया गया है। अब राम मंदिर की सुरक्षा की कमान उत्तर प्रदेश सरकार के हाथों में होगी। इसके लिए एक स्पेशल टास्ट फोर्स बनाया गया है। यह राम मंदिर और रामलला की सुरक्षा देखेगी। अभी तक सीआरपीएफ के हाथों में राम मंदिर की सुरक्षा थी। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से इसकी सुरक्षा सीआरपीएफ के हवाले थी।