Rakshanda Rashid Jammu and Kashmir: इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को पाकिस्तान भेज दिया था जो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रहे थे। सरकार के इस फैसले के बाद कई ऐसे परिवारों की कहानी सामने आई थी जो वर्षों से भारत में रह रहे थे लेकिन उन्हें अपने परिवार को छोड़कर जाना पड़ा था। ऐसे लोगों के पास भारत की नागरिकता नहीं थी।

अब भारत ने 63 साल की एक महिला को विजिटर वीजा जारी करने का फैसला किया है जिससे वह भारत में रह रहे अपने परिवार के पास ही रह सकें।

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अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भेज दिया था पाकिस्तान

महिला का नाम रक्षंदा राशिद है। वह जम्मू के तालाब खटिकान इलाके की रहने वाली हैं। राशिद को पहलगाम आतंकी हमले के बाद 29 अप्रैल को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया गया था। उनके पति शेख ज़हूर अहमद और चार बच्चे जम्मू-कश्मीर में ही हैं क्योंकि उनके पास भारतीय नागरिकता है। ज़हूर अहमद सरकारी नौकरी से रिटायर हैं।

अब अदालत के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने राशिद को विजिटर वीजा देने का फैसला किया है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने काफी सोच-विचार के बाद राशिद को विजिटर वीजा जारी करने का फैसला लिया है। मेहता ने यह भी कहा कि राशिद आगे चलकर भारत की नागरिकता और लॉन्ग टर्म वीजा के लिए दिए गए अपने पेंडिंग आवेदन पर भी आगे बढ़ सकती हैं।

14 दिन के लिए आई थीं भारत

राशिद पाकिस्तान के इस्लामाबाद की रहने वाली थीं और 10 फरवरी 1990 को 14 दिन के विजिटर वीजा पर अटारी के रास्ते भारत आई थीं लेकिन इसके बाद उन्हें लगातार लॉन्ग टर्म वीजा मिलता रहा और वह यहीं रह गई। इस दौरान उनकी एक भारतीय नागरिक से शादी हुई और चार बच्चे भी हुए।

राशिद का वीजा 13 जनवरी 2025 तक मान्य था। उन्होंने इसे बढ़ाने के लिए 4 जनवरी को आवेदन किया था लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली। हालात तब खराब हुए जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और इसके बाद उनका नाम भी ऐसे लोगों की सूची में आया जो लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत में रह रहे थे और जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं थी।

राशिद को भी भारत छोड़ने का नोटिस दिया गया। 29 अप्रैल को शाम 4:30 बजे वह पाकिस्तान पहुंच गई थीं।

ढंग से नहीं की गई जांच- कोर्ट

सुनवाई के दौरान जस्टिस राहुल भारती ने केंद्र सरकार से कहा कि वह राशिद को भारत वापस लाए। अदालत ने कहा कि उनके पास लॉन्ग टर्म वीजा था और यह समझ में आता है कि इस मामले में ढंग से जांच किए बिना उन्हें भारत से जबरन डिपोर्ट कर दिया गया।

‘अगर सचमुच वे पहलगाम के आतंकी थे तो यह अच्छा है’

जस्टिस भारती ने कहा कि मानव अधिकार जीवन का सबसे पवित्र हिस्सा है। अदालत ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह राशिद को डिपोर्टेशन से वापस लाए। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा फैसला सिर्फ इस मामले में लिया गया है और किसी अन्य मामले में यह मिसाल नहीं बनेगा।

जस्टिस भारती ने राशिद के पति जहूर अहमद के बयान का भी उल्लेख किया जिसमें अहमद ने कहा था कि उनकी पत्नी की देखभाल के लिए पाकिस्तान में कोई नहीं है, वह काफी बीमार हैं और उनका जीवन खतरे में है।

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पाकिस्तान में महंगाई की वजह से हुईं परेशान

जहूर अहमद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उनके बच्चे अपनी मां को लेकर बहुत परेशान थे। उन्होंने उन्हें 50 हजार रुपये भारतीय करेंसी में दिए थे लेकिन राशिद के पैसे खत्म हो रहे थे क्योंकि पाकिस्तान में एक ट्रे अंडे की कीमत 600 रुपये और 1 किलो आटा 250 रुपए का था।

खैर, अब राशिद जल्द ही अपने परिवार के साथ एक बार फिर जम्मू कश्मीर में रह सकेंगी।

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