सरकार और किसानों के बीच बार-बार बातचीत के बाद भी अब तक कोई स्थायी हल नहीं निकला है। सरकार डेढ़ साल के लिए कानून को रोकने का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि किसान अभी कानून को वापस लेने पर अड़े हुए हैं। एक टीवी कार्यक्रम में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और उन लोगों का भी सम्मान करते हैं जो जज थे और रिटायर होने के बाद राज्यसभा चले गए।
ऐंकर ने कहा, लगता है आप आंदोलन को खत्म ही नहीं करना चाहते हैं। बार-बार नया मुद्दा ले आते हैं। टिकैत ने कहा, एक ही बात का हल निकाल दीजिए सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। इसका फार्म्युला है, 1967 में 76 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का दाम फिक्स हुआ। उस समय टीचर की सैलरी 70 रुपये थी। उस समय किसान तीन क्विंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना खरीद सकते थे। खेत में काम करके मजदूर 50 दिन काम करके एक तोला सोना खरीद सकता था। हमारी फसलों के भी रेट बढ़ने चाहिए।
राकेश टिकैत ने कहा, हम किसी सरकार को झुकाना नहीं चाहते। मामले किसान की फसल से जुड़ा है। अगर ऐग्रिकल्चर पॉलिसी सही होती तो लोग शहर की तरफ न भागते। गांव से अनपढ़ आदमी भी शहर भाग रहा है। इसका मतलब नीति में गड़बड़ी है। ट्रैक्टर रैली पर उन्होंने कहा कि 26 तीरीख का मामला अलग है। उन्होंने कहा कि कोई गलत फहमी में न रहे कि आंदोलन खत्म हो जाएगा। 26 तारीख को रैली इसलिए निकाली जाएगी क्योंकि हमें खालिस्तानी कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट की बात पर उन्होंने कहा, कोर्ट तो भगवान का रूप होता है। उन्होंने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. सबका सम्मान करते हैं। रिटायर होने के बाद जो कोर्ट से राज्यसभा जा रहे, उनका भी सम्मान करते हैं। हम बाद में भी सम्मान करते हैं। प्रणाम करते हैं।’ चुनाव लड़ने के बारे में ऐंकर के सवाल पर टिकैत ने कहा, कौन राजनीतिक आदमी नहीं है। जिसे राजनीति पर आस्था न हो, उसे तो आवाज उठानी ही नहीं चाहिए। मैं और मेरी पत्नी एक ही गाड़ी में वोट डालने गए। दोनों ने अलग-अलग वोट दिया। यह मेरा अधिकार है।