भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों की मांग को दिल्ली ऐसे नहीं मानेगी, इसके लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी। साथ ही उन्होने कहा कि लड़ाई से ही तो किले जीते गए हैं। अगर हम हाथ जोड़ते रहेंगे तो लुटेरे नहीं मानने वाले हैं। राकेश टिकैत ने किसानों से बैरिकेडिंग तोड़ने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बगावत अपने घर से शुरू होती है। जो अपने घर के बंधन में रहेगा वो आंदोलन कभी नहीं कर सकता है। पत्रकार के द्वारा पूछे जाने पर कि क्या आप किसानों से कह रहे हैं कि दिल्ली पर चढ़ाई के लिए तैयार रहो? जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि क्या बिना चढ़ाई किए दिल्ली मान जाएगी? वो कौन सी हुनर है वो बता दो मुझे जो दिल्ली मान जाएगी? किले और राजधानी तो लड़ाई से ही जीती गयी है। लुटेरे के सामने अगर हाथ जोड़कर बैठ जाओ तो क्या लुटेरे भाग जाएंगे?
राकेश टिकैत ने कहा कि जब कारगिल में युद्ध हुए थे तब तोप के गोले से ही तो भागे थे। जब पत्रकार ने उनसे पूछा कि आप लुटेरा किसे कह रहे हैं, सरकार को? जवाब में उन्होंने कहा कि कंपनी आएगी बड़ी-बड़ी, जो लुटेरे होंगे वो भाग जाएंगे। हमारा आंदोलन लुटेरों के खिलाफ ही है।
26 जनवरी की घटना पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश के लोगों को गलत दिखाया गया। किसी एक आदमी ने 13 घंटे पहले कह दिया कि मैं लाल किले पर जाऊंगा, और वो लाल किले तक पहुंच गया। कौन लेकर गए उसे?
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले 100 से अधिक दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष के बीच कोई फैसला नहीं हो पाया। जिसके बाद से सरकार और किसानों के बीच डेडलॉक जारी है। दोनों ही पक्षों के बीच अंतिम बार वार्ता 22 जनवरी को हुई थी।