देश के सांसदों द्वारा रेल टिकट बुकिंग के नाम पर जनता के टैक्स के करीब 6.5 करोड़ रुपए की बर्बादी करने का मामला सामने आया है। दरअसल सांसदों ने साल 2019 में अपनी यात्राओं के लिए जितने टिकट बुक कराए, उसके सिर्फ 15 फीसदी टिकट यानि कि करीब एक करोड़ रुपए के टिकट पर ही यात्रा की और बाकी टिकट कैंसिल भी नहीं कराए। भारतीय रेलवे ने सांसदों द्वारा बुक कराए गए टिकटों का बिल राज्यसभा सचिवालय भेजा है, जिसके बाद सचिवालय द्वारा टिकटों के 7.8 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में पता चला है कि एक पूर्व राज्यसभा सांसद ने तो जनवरी 2019 में 63 ट्रेन बुकिंग करायी थी। इस तरह उन सांसद ने 23 दिनों तक हर दिन 4 बुकिंग करायी लेकिन उन्होंने पूरे महीने सिर्फ 7 टिकटों पर यात्रा की।

पूर्व सांसद की यात्रा का कुल खर्च 22085 रुपए था लेकिन राज्य सभा सचिवालय को इसके लिए 1.47 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ा। इसी तरह अन्य सांसद भी अपने द्वारा बुक किए गए कम टिकटों पर यात्रा करते हैं और बाकी बिना कैंसिल किए ही छोड़ देते हैं। राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों द्वारा इस पूरे मामले की जांच की गई है और इसके बाद सचिवालय ने सांसदों को कहा है कि अब सांसदों से ही बुक किए गए टिकटों का बिल वसूला जाएगा फिर चाहे उन्होंने इनका इस्तेमाल किया हो या नहीं।

राज्यसभा सचिवालय ने फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और सार्वजनिक धन की बर्बादी रोकने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है। वहीं सूत्रों के अनुसार लोकसभा सचिवालय का तो इस मद में बिल और भी ज्यादा बड़ा है। टीओआई की खबर के अनुसार, लोकसभा सचिवालय ने साल 2019 के लिए सांसदों के यात्रा खर्च के लिए 23.4 करोड़ रुपए के बिल का भुगतान किया है।

बता दें कि नियमों के अनुसार, सांसदों को ट्रेन में एसी फर्स्ट क्लास का टिकट मुफ्त मिलता है। इसके साथ ही सांसद के साथ उनकी पत्नी या पति के लिए भी एसी फर्स्ट क्लास का टिकट मुफ्त मिलता है। वहीं सांसद के एक सहयोगी को भी टायर 2 क्लास का टिकट मुफ्त मिलता है।