हालिया राज्यसभा चुनावों में भाजपा ने भले ही महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में जीत दर्ज की है लेकिन इस साल अप्रैल में उच्च सदन में 100 के आंकड़े पर पहुंचने वाली पार्टी के सदस्यों की संख्या 57 सीटों के लिए संपन्न हुए द्विवार्षिक चुनावों के बाद 95 से घटकर 91 पर आ गई है। राज्यसभा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक सेवानिवृत्त हो रहे 57 सदस्यों को मिलाकर इस वक्त उच्च सदन के कुल 232 सदस्यों में भाजपा के 95 सदस्य हैं।

सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों में भाजपा के 26 सदस्य शामिल हैं जबकि द्विवार्षिक चुनाव में पार्टी के 22 सदस्यों ने जीत दर्ज की। इस तरह से पार्टी को चार सीटों का नुकसान हुआ है। निर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या उच्च सदन में 95 से घटकर 91 रह जाएगी। या कहें तो 100 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए भाजपा को अभी और इंतजार करना होगा। वर्तमान में राज्यसभा में सात मनोनीत सदस्यों सहित कुल 13 रिक्तियां हैं। ऐसे में मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति और खाली सीटों के भरने के बाद पार्टी एक बार फिर 100 के आंकड़े को छू सकती है।

अप्रैल में हुए राज्यसभा चुनावों में असम, त्रिपुरा और नगालैंड में एक-एक सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने अपने इतिहास में पहली बार उच्च सदन में 100 की संख्या को छूआ था। पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के कई नेताओं ने इसे भाजपा की बड़ी उपलब्धि बताया था।

राज्यसभा की 57 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनावों की घोषणा के बाद उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और उत्तराखंड में सभी 41 उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना गया था, जिसमें भाजपा के 14 उम्मीदवार निर्विरोध चुनकर आए थे। भाजपा को उत्तर प्रदेश में तीन सीटों का फायदा हुआ। यूपी से पार्टी के पांच सदस्य सेवानिवृत्त हुए थे जबकि उसके आठ सदस्य निर्वाचित हुए हैं। वहीं, बिहार और मध्य प्रदेश में भाजपा को दो-दो सीटें, जबकि उत्तराखंड और झारखंड में पार्टी को एक-एक सीटें मिली।

57 में से 22 सीटों पर मिली जीत

इसके अलावा, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 16 सीट के लिए शुक्रवार को चुनाव हुए। जहां भाजपा ने महाराष्ट्र में तीन सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, कर्नाटक में भी पार्टी ने तीन सीटों पर कब्जा किया और हरियाणा-राजस्थान में एक-एक सीट पर जीत मिली। बेहतर चुनाव प्रबंधन के कारण पार्टी के दो उम्मीदवार और उसके समर्थन वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत हासिल की जबकि उनके जीतने की संभावनाएं बेहद कम थीं।

इस तरह से इन चार राज्यों में भाजपा ने 8 सीटों पर जीत हासिल की। कुल मिलाकर 57 में से 22 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। हरियाणा में निर्दलीय चुनाव जीतने वाले कार्तिकेय शर्मा को भाजपा और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने समर्थन दिया था। वहीं, राजस्थान में भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा का समर्थन किया था लेकिन वह अपना हार गए।