कृषि बिल के राज्यसभा में पारित होने के बावजूद सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। विपक्ष का आरोप है कि किसान विरोधी विधेयक नियमों को ताक पर रख कर पारित किया गया। यह जानते हुए कि सदन में भाजपा को बहुमत नहीं है, विधेयक में संशोधनों को लेकर मतविभाजन नहीं कराया गया।
इसके लिए केवल वह (उप सभापति) जिम्मेदार हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि हम मत विभाजन की मांग करते रहे और हमारी मांग सुनी ही नहीं गई। विपक्ष के आरोप पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि अगर नंबरों की बात करें तो उस दिन हमारे पक्ष में 110 वोट थे और इनके पक्ष में 72 वोट थे। अगर वो (8 सांसदों द्वारा प्रदर्शित अनियंत्रित व्यवहार) इस पर खेद व्यक्त करते हैं तो सरकार इस बात से सहमत है कि उन्हें सदन से बाहर नहीं होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि रविवार को सदन में अमर्यादित आचरण करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और आप के संजय सिंह सहित विपक्ष के आठ सदस्यों को सोमवार को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। संसद का मानसून सत्र एक अक्तूबर को समाप्त होना है।
कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने आठ सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग करते हुए उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। उच्च सदन में सबसे पहले कांग्रेस सदस्यों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया। इसके बाद आप, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने भी कार्यवाही का बहिष्कार किया। बाद में राकांपा, सपा और राजद के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए।
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि राज्यसभा के निलंबित सदस्यों द्वारा अपने आचरण के लिए माफी मांगे जाने के बाद ही उनका निलंबन रद्द करने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा मंगलवार को मौजूदा मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किए जाने के बाद निलंबित सांसदों ने संसद भवन परिसर में अपना धरना खत्म कर दिया।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और निलंबित सांसदों में शामिल राजीव सातव ने कहा कि विपक्ष इस सत्र में उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा। ऐसे में हमने धरना खत्म कर दिया है। अब हम सड़क पर आंदोलन करेंगे।