Rajya Sabha polls: 15 राज्यों में उच्च सदन की 57 सीटों पर होने वाले द्विवर्षीय राज्यसभा चुनाव के लिए चुनाव जारी हैं। अभी तक 11 प्रदेशों जिनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंबाज राज्यों में अलग-अलग सियासी दलों के 41 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल कर ली है।

हालांकि हरियाणा और राजस्थान में निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में दो मीडिया के दिग्गजों की अचानक एंट्री से सत्तारूढ़ बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस का संख्या नहीं होने के बावजूद अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा किए जाने के बावजूद और महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के एक अतिरक्त उम्मीदवार खड़ा कर देने के फैसले ने इन राज्यों में 16 खाली राज्यसभा सांसद की सीटों के लिए चुनाव करवाए जाने को मजबूर कर दिया है। इन चार राज्यों- राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में चुनाव 10 जून यानी कि आज ही होंगे।

अनुमान के मुताबिक विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप, विधायकों को रिसॉर्ट में स्थानांतरित किए जाने का प्लान और व्यस्त और तनावपूर्ण बैठकों के बाद चुनावों को रहस्यमयी और नाटकीय बना दिया है। अब इन चार राज्यों में जहां उम्मीदवारों की संख्या सीटों से ज्यादा वहां क्या हो रहा है इसका एक विश्लेषण आपको बताते हैं।

राजस्थानः सबसे पहले हम बात करेंगे राजस्थान की राजस्था ने राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव हैं लेकिन उम्मीदवारों की संख्या 5 हैं। हर उम्मीदवार को जीत के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। वहीं राज्य में विधानसभा की सिर्फ 200 सीटें ही हैं। इनमें से कांग्रेस के पास 108 सीट तो बीजेपी के पास 71 सीटें हैं। ऐसे में कांग्रेस 2 सीटों पर और बीजेपी एक सीट पर आसानी से जीत हासिल करती हुई दिखाई दे रही है।

राजस्थान में कांग्रेस ने 3 तो बीजेपी 2 उम्मीदवारों को खड़ा किया
कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों को खड़ा किया है जिसमें रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी हैं। जबकि अगर हम बीजेपी की बात करें तो वो एक सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया है। वहीं पूर्व विधायक घनश्याम तिवारी और पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवार और मीडिया बैरन सुभाष चंद्रा का समर्थन कर रही है। कांग्रेस ने अपने तीन उम्मीदवारों को जीत हासिल करने के लिए 15 विधायकों को वोटों की जरूरत है वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने दो उम्मीदवारों के लिए 11 वोट और चाहिए।

हरियाणाः वहीं हम दूसरे नंबर पर बात करेंगे बीजेपी शासित राज्य हरियाणा की जहां राज्यसभा की 2 सीटों पर चुनाव हैं और उम्मीदवारों की संख्या 3 है। हरियाणा में तीनों उम्मीदवार राज्यसभा के लिए खड़े हैं प्रत्येको उम्मीदवार को जीत के लिए 31 विधायकों के वोट की आवश्यकता है। अगर हम हरियाणा में कुल विधायकों की संख्या के बारे में बात करें तो यहां पर कुल विधायकों की संख्या 90 हैं जिनमें से कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास कुल 40 विधायक हैं।

अजय माकन की जीत सुनिश्चित
हरियाणा में कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन की जीत सुनिश्चित है। वहीं बीजेपी के पास 40 विधायक हैं। बीजेपी ने पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार को मैदान में उतारा है तो वहीं न्यूज एक्स के मालिक कार्तिकेय शर्मा का भी समर्थन कर रही है। बीजेपी अपनी सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से 10 वोटों की उम्मीद कर रही है ताकि कार्तिकेय शर्मा को राज्यसभा भेज सके इसके अलावा सात निर्दलीय विधायक भी हैं जिन पर बीजेपी को भरोसा है। वहीं इनेलो के अभय चौटाला और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने भी कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देने की घोषणा की है।

कर्नाटकः कर्नाटक में राज्यसभा के 4 सासंदों की सीटों पर चुनाव होने हैं इनके लिए 6 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रत्येक उम्मीदवार को जीत के लिए 45 विधायकों का वोट चाहिए। कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं। इनमें से कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 121 विधायक हैं वहीं जनता दल एस के पास भी 32 विधायक हैं। मौजूदा समय सत्तारूढ़ बीजेपी के 2 सांसद उम्मीदवार जीतते हुए दिखाई दे रहे हैं और कांग्रेस की एक सीट चौथी सीट हालांकि महत्वपूर्ण साबित हो रही है लेकिन इसमें से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने एक-एक अतिरक्त उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और मंसूर अली खान को मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मलासीतारमण, अभिनेता जग्गेश और कर्नाट के एमएलसी लहर सिंह सिरोया को मैदान में उतारा है। वहीं जेडीएस ने कारोबारी डी कुपेंद्र रेड्डी को मैदान में उतारा है।

महाराष्ट्रः महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों पर वोटिंग होनी है जबकि यहां भी उम्मीदवारों की संख्या सीटों की संख्या से एक ज्यादा है यानि कि 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां पर एक सांसद को जीत के लिए 42 विधायकों के वोट की आवश्यकता है। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से बीजेपी के पास 106, शिवसेना के पास 55, कांग्रेस के पास 44 और राकांपा के 53 (लेकिन उसके दो विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में हैं) हैं। निर्दलीय और छोटी पार्टियों के पास संयुक्त रूप से 29 विधायक हैं।

बीजेपी ने राज्य में तीन उम्मीदवार उतारे हैं: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय म्हादिक। शिवसेना के दो उम्मीदवार हैं- प्रवक्ता संजय राउत और संजय पवार। एनसीपी और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार उतारे हैं। एनसीपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी।

सामान्य परिस्थियों में ऐसा होगा महाराष्ट्र का सियासी गणित
सामान्य परिस्थितियों में जब हम ये मान कर चलते हैं कि कोई भी क्रॉस वोटिंग नहीं करेगा, तब कांग्रेस को अपने आधिकारिक उम्मीदवार के चुने जाने के बाद भी महज 2 वोट शेष बचेंगे और एनसीपी के पास 9 वोट शेष बचेंगे (यदि मलिक और देशमुख को वोट देने की अनुमति नहीं है) तब। कांग्रेस और एनसीपी इन्हें शिवसेना को सौंप सकती हैं, जिसके पास अपने दो उम्मीदवारों में से एक को चुनने के बाद अपने स्वयं के 13 विधायकों के वोट शेष होंगे। इनके अलावा महाविकास अघाड़ी के 4 निर्दलीय विधायक हैं जो सरकार का हिस्सा हैं उनकी संभावना भी शिवसेना को ही जाती है। कुल मिलाकर, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के अधिशेष वोट सामान्य स्थिति में 24 हो जाते हैं। हालांकि क्रॉस वोटिंग के खतरे को देखते हुए तीनों पार्टियों के सरप्लस वोट काफी कम हो सकते हैं।