संसद के दोनों सदन पिछले दो-तीन दिनों से ठीक से चल रहे थे। दोनों ही सदनों में कोई विशेष हंगामा देखने को नहीं मिला लेकिन शुक्रवार को राज्यसभा शुरू होने के तुरंत बाद दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। दरअसल इसकी वजह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर किसी भी कैबिनेट मंत्री के सदन में न उपस्थित होना बताया जा रहा है।

सदन की कार्यवाही पर नजर रखने वाले इसे एक ‘दुर्लभ’ घटना बता रहे हैं। शायद ऐसा पहली बार है, जब कार्यवाही शुरू होने पर कोई भी कैबिनेट मंत्री सदन में उपस्थित नहीं था और इस वजह से राज्यसभा को 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने किसी भी कैबिनेट मंत्री के उपस्थित न होने को सदन का अपमान बताते हुए स्थगन की मांग की।

सदन में कैसे उठा कैबिनेट मंत्रियों की अनुपस्थिति का मुद्दा?

शुक्रवार सुबह 11 बजे जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो सभापति सीपी राधाकृष्णन ने 13 दिसंबर 2001 के संसद हमले का जिक्र किया और शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी।

श्रद्धांजलि के तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने यह सवाल उठाया कि सदन में कोई भी कैबिनेट मंत्री मौजूद क्यों नहीं है। इस पर सभापति ने कहा कि वे सरकार से बात करेंगे और एक कनिष्ठ मंत्री से कहा कि किसी कैबिनेट मंत्री की उपस्थिति सुनिश्चित कराई जाए।

लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ। उन्होंने मांग की कि कैबिनेट मंत्री आने तक सदन की कार्यवाही रोक दी जाए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह सदन का अपमान है और कार्यवाही स्थगित की जानी चाहिए। करीब पांच मिनट इंतजार के बाद सभापति ने 11:05 बजे सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

11:15 बजे जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कैबिनेट मंत्रियों की अनुपस्थिति पर खेद जताया। उन्होंने बताया कि वे लोकसभा में पूर्व लोकसभा स्पीकर और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि देने गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि सदन के नेता जेपी नड्डा लोकसभा में प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मौजूद थे।

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