राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता है। जो आज आपके विरोधी हैं, वे कल आपके साथ हो सकते हैं। इसी वजह से कई बार नेताओं पर राजनीतिक मौका परस्त होने का आरोप भी लगाया जाता है।
सक्रिय हुए योगी
योगी आदित्यनाथ अचानक सक्रिय हो गए हैं। प्रशासनिक मशीनरी को दुरुस्त करने में जुटे हैं। पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों, मंत्रियों और सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं। विधानसभा की जिन दस सीटों के लिए उपचुनाव होना है, वहां के भाजपा विधायकों और सांसदों के साथ मंत्रणा कर रहे हैं। सहयोगी दलों के विधायक और सांसद भी इससे गदगद हैं। इन दस सीटों में से नौ यहां के विधायकों के लोकसभा सदस्य चुन लिए जाने के कारण खाली हुई हैं। जबकि एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता खत्म हो जाने के कारण खाली हुई है। अभी उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं हुआ है। पर भाजपा ने जरूर एलान कर दिया है कि उसकी कोशिश सभी दस सीटों को जीतने की होगी।
इनमें से भाजपा की तीन ही सीटें हैं। एक-एक सीट उसके सहयोगी रालोद और निषाद पार्टी की है। पांच सीटें समाजवादी पार्टी की हैं। सो चिंता सपा को ज्यादा होनी चाहिए। मुख्यमंत्री इन सीटों से नाता रखने वाले पार्टी के तमाम नेताओं से कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की हार का बदला सपा से ये सीटें छीनकर लेना है। अखिलेश यादव इनमें से कांग्रेस को गाजियाबाद की सीट दे सकते हैं। बाकी नौ सीटों पर तो वे अपने उम्मीदवार ही उतारेंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा सूबे में पहले स्थान से खिसक कर दूसरे स्थान पर पहुंच गई, जिससे सूबे के मुख्यमंत्री दबाव में हैं।
कमाल की दलील
ओमप्रकाश राजभर भाजपा-सपा के साथ कदमताल करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को उनकी जरूरत महसूस हुई तो मंत्रिपद मिलने की एवज में उससे तालमेल किया। अखिलेश यादव ने उन्हें 17 सीटें दी थी पर वे जीत पाए केवल छह। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें एक सीट दी थी पर उनका बेटा हार गया। अब फरमाया है कि उनके छह विधायकों में चार समाजवादी पार्टी के हैं, सुभासपा का तो बस चुनाव निशान इस्तेमाल किया था। ये हैं-बेदीराम, जगदीश नारायण, अब्बास अंसारी और दूधराम। राजभर और करते भी क्या। दलित विधायक बेदीराम के खिलाफ पर्चाफोड़ कराने के कई मामले जो चल रहे हैं। उधर अब्बास अंसारी गाजीपुर के दिवंगत बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे हैं और इस समय जेल में हैं। इनसे राजभर का कोई नाता नहीं है तो अब तक पार्टी से निष्कासित क्यों नहीं किया।
जीत का रहस्यमयी मंत्र
लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली है। लेकिन दिल्ली की सत्ता से भाजपा बीते 25 सालों से दूर है। केंद्रीय नेतृत्व की अगुआई में हाल ही में हुई पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया गया है। अभी तक यह मंत्र रहस्यमयी है। मंत्र से अभी भी पार्टी के नेताओं को यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे दिल्ली को जीता जाएगा। क्योंकि इसकी स्पष्ट नीति कार्यकारिणी में सामने नहीं आई है। हालांकि, सभी नेताओं ने यह दम जरूर भरा है कि दिल्ली का लंबा वनवास इस बार तो खत्म करना है।
राव का रास्ता
लोकसभा चुनाव की हार से बीआरएस के नेता के चंद्रशेखर राव सदमे की हालत में हैं। पार्टी का तेलंगाना में खाता तक नहीं खुल पाया। कांग्रेस ने सूबे की सत्ता से तो चंद्रशेखर राव को पहले ही बेदखल कर दिया था। लोकसभा चुनाव की हार ने उनकी हालत और खस्ता कर दी। पार्टी के नेता एक-एक कर कांग्रेस में जा रहे हैं। उनकी बेटी कविता दिल्ली शराब घोटाले के मामले में जेल में हैं। ऊपर से सूबे की कांग्रेस सरकार चंद्रशेखर राव के कार्यकाल के घोटालों की जांच कर उन्हें चक्रव्यूह में फंसा सकती है। इसलिए चर्चा है कि वे अब भाजपा के सामने नतमस्तक हैं। वाजपेयी सरकार के दौर में चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस राजग में थी। इसलिए भाजपा से हाथ मिलाने में उसे कोई दुविधा भी नहीं होगी। विकल्प दोनों हैं।
चंद्रशेखर राव जहां गठबंधन करने और अपनी पार्टी को राजग में शामिल करने के पक्ष में बताए जा रहे हैं, वहीं भाजपा का एक धड़ा चाहता है कि बीआरएस का भाजपा में विलय किया जाए। दोनों दलों के नेताओं की मुलाकात भी हो चुकी है। देरी बस फैसले की है। बीआरएस के नेता बी विनोद कुमार से जब नए गठजोड़ को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि राजनीति में कुछ भी संभव है। हाल ही में चंद्रबाबू नायडू ने जिस तरह भाजपा का साथ दिया उसे देख कर तो पूरी तरह से लगता है कि राजनीति में कुछ भी संभव है तो देखना है कि राव के आगे की राह क्या होगी?
अंबानी के ‘इंडिया’ वाले मेहमान
अनंत अंबानी-राधिका मर्चेंट की शादी जहां सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है, वहीं कुछ खास मेहमानों पर सियासी ताना मारा जा रहा है। आरोप है कि चुनावी भाषणों में जिन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता कोस रहे थे वही मेहमान बन कर जा रहे हैं। बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने ऐसा कटाक्ष तब किया जब उनसे पत्रकारों ने अंबानी की शादी में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बड़ी पुत्री मीसा भारती, दोनों पुत्र तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के शामिल होने के लिए मुंबई रवाना होने के बारे में सवाल किया गया।
चौधरी ने कहा कि हमें इन लोगों की कथनी और करनी पर गौर करना चाहिए। उनके सहयोगी राहुल गांधी अंबानी और अडानी पर हमला करते रहते हैं। राजद नेता भी अपनी राजनीतिक रैलियों में ऐसा ही करते हैं। लालू प्रसाद के छोटे बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से कहा था कि उन्हें रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में आमंत्रित किया गया है और वे अपनी शुभकामनाएं देने जा रहे हैं।
संकलन- मृणाल वल्लरी