पानी से लेकर परीक्षा तक, सियासत के हर मोर्चे पर घमासान मचा है। पंजाब-हरियाणा के बीच पानी को लेकर तल्खी चरम पर है तो परीक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है एनटीए। दिल्ली में सत्ता के रिमोट कंट्रोल की चर्चा है, नेता बयानबाज़ी में फंसे हैं और केजरीवाल जैसे बड़े चेहरे अब सियासी मंच से गायब हैं।

पानी पंजाब दा

पानी के बंटवारे को लेकर राज्यों के विवाद का इतिहास पुराना है। दक्षिण भारत में कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी के पानी के बंटवारे की लड़ाई तो राजनीति के मैदान में ही नहीं सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाती रही है। अब पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर सियासत गरमा गई है। अतीत में पानी के बंटवारे को लेकर विवाद इस सीमा तक कभी नहीं पहुंचा जैसे इन दिनों पंजाब और हरियाणा में दिख रहा है कि नौबत पुलिस की तैनाती की आ गई है। पंजाब सरकार ने इस समय भाखड़ा नहर के पानी को लेकर हरियाणा के साथ तनातनी इस सीमा तक बढ़ा ली है जैसे हरियाणा अपने देश का हिस्सा नहीं है।

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मुख्यमंत्री भगवंत मान फरमा रहे हैं कि हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं देंगे। भाखड़ा-व्यास प्रबंधन बोर्ड को पानी छोड़ने से रोक दिया है। पुलिस का पहरा भी बैठा दिया है ताकि पानी न छोड़ा जा सके। दरअसल, पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे। किसान आंदोलन के खिलाफ कार्यवाही करके अपना जो विरोध बढ़ा लिया, उसकी भरपाई पंजाब के पानी की लड़ाई लड़कर करने की राजनीति नजर आती है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार होती तो पानी को लेकर हरियाणा के प्रति ऐसा आक्रामक रवैया कतई न अपनाते। दिल्ली तो हाथ से गई, कहीं पंजाब भी न चला जाए, इस चिंता में खुद को साबित करना चाहते हैं सूबे का सच्चा हितैषी।

दौर-ए-तंगनजरी

मुश्किल समय में शब्द साधने की शक्ति सियासतदानों में खत्म होती जा रही। मध्य प्रदेश के मंत्री विधायक विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर निंदनीय टिप्पणी कर निर्लज्जता की सारी हदें पार कर ही दी थी। इससे विपक्ष को भाजपा की घेरेबंदी का मौका मिला लेकिन वह भी सैनिकों की जाति में उलझ गया। सपा सांसद रामगोपाल यादव ‘आपरेशन सिंदूर’ के लिए सेना की सराहना कर रहे थे और श्रेय लेने की भाजपाई कोशिश पर वार करना चाहते थे। फरमाया कि सोफिया कुरैशी पर हमला भाजपाई मंत्री ने मुसलमान होने के कारण किया। गनीमत है कि विंग कमांडर व्योमिका सिंह और एयर मार्शल एके भारती की जाति का उन्हें पता नहीं था। यादव ने व्योमिका सिंह और भारती की जाति बता कर कहा कि लड़ाई पीडीए के लोग लड़ रहे थे। यादव भूल गए कि फौजी देश के लिए लड़ते हैं किसी सियासी दल के लिए नहीं।

दिल्ली पर अब रहेगा दखल

दिल्ली की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी काबिज है। दिल्ली में दखल के बाद पार्टी ने इस बार नए चेहरों को सत्ता चलाने की चाभी दी है, लेकिन इसका रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में रख लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में दिल्ली में आइएएस अधिकारियों की तैनाती की है। ये अधिकारी लंबे समय से दिल्ली से दूर थे और अपनी तैनाती का इंतजार कर रहे थे। अधिकारियों का मानना है कि बड़े स्तर पर आइएएस अधिकारियों को दिल्ली भेजा गया है और इन अधिकारियों में दूर-दराज के केंद्र शासित प्रदेशों से भी अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी सीधे तौर पर केंद्र सरकार से जुड़े रहे हैं। जाहिर है कि इसका असर आने वाले दिनों में दिल्ली की सियासत में भी साफ देखने को मिलेगा।

परीक्षा की घड़ी

प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वालों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। केंद्र सरकार ने इस काम के लिए एक खास और समर्पित नोडल एजंसी एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजंसी बनाई थी तो उम्मीद बंधी थी कि अब सब कुछ वक्त पर और सही सलामत होगा। लेकिन एनटीए भी अचूक साबित नहीं हुई। नीट, सीयूईटी और जेईई जैसी अहम परीक्षाओं में इस एजंसी के स्तर से भी लगातार गड़बड़ियां सामने आई। प्रश्नपत्र लीक होने से लेकर, गलत प्रश्न और परीक्षा केंद्रों की ऐसी बदइंतजामी दिखी कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस समय एनटीए सीयूईटी यानी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की एकीकृत प्रवेश परीक्षा ले रहा है। लेकिन परीक्षार्थी इसमें भी अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पहली परेशानी केंद्रों को लेकर सामने आई।

दूरदराज के स्थानों पर बना दिए परीक्षा केंद्र। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के नोएडा के परीक्षार्थी उत्तराखंड के देहरादून के परीक्षा केंद्र पर जाने को विवश हुए। कइयों की तो परीक्षा छूट गई। मेघालय के छात्रों के परीक्षा केंद्र असम में बना दिए। परीक्षार्थियों को पहले से सूचना भी नहीं दी गई। जम्मू कश्मीर के एक परीक्षा केंद्र पर तो परीक्षा स्थगित कर दी गई क्योंकि कोई तकनीकी खराबी थी। और तो और दिल्ली में भी कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देर से शुरू हुई। कहीं तकनीकी खराबी तो कहीं बिजली गुल। कहीं शिकायत रही कि परीक्षार्थी अपना परीक्षा केंद्र नहीं ढूंढ पाए।

कहां हैं केजरीवाल?

दिल्ली की सत्ता से बेदखल हो जाने के बाद से अरविंद केजरीवाल सियासी पटल से नदारद हैं। झटका ही इतना करारा लगा है कि अभी तक संभल नहीं पाए हैं। विधानसभा की अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। फिर दिल्ली नगर निगम भी हाथ से निकल गया। चंडीगढ़ नगर निगम भी भाजपा ने झटक लिया। ले-देकर पंजाब में सरकार बची है। और किसी राज्य में पार्टी का खास जनाधार है नहीं। दिल्ली में रिहाइश भी पार्टी के सांसद अशोक मित्तल के फिरोजशाह रोड के सरकारी आवास में बनाई है। ले-देकर पंजाब से राज्यसभा में आने का रास्ता ही बचता है।

इसी मकसद से लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट से सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया है पर चुनाव आयोग ने उप उपचुनाव की अधिसूचना ही जारी नहीं की अभी तक। लेकिन अरोड़ा भी उपचुनाव जीते तो ही खाली करेगें राज्यसभा सीट। बेचारे केजरीवाल हालात को भांप लो प्रोफाइल चल रहे हैं और ज्यादा समय पंजाब को ही दे रहे हैं। पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद पाक पर भारत की जवाबी कार्रवाई हुई। लोग सोशल मीडिया पर ढूंढ़ रहे कि अरविंद केजरीवाल इन मुद्दों पर क्या बोले?

संकलन: मृणाल वल्लरी