न्यूज 24 का कैमरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गांव पहुंचा तो रिपोर्टर को एक ऐसा व्यक्ति मिला जो उनके साथ पढ़ा-लिखा है। शंभू नाथ नामके शख्स ने बताया कि ये उनके लिए दुर्भाग्य की बात है कि वो राजनाथ को जानते हैं। वो अभी तक 19वीं सदी में ही रह रहे हैं। शंभू का कहना था कि उनकी हालत देख ये पता लग जाएगा।

शंभू नाथ ने कहा कि वो मेरे क्लास फेलो थे, लेकिन अब ज्यादा नजदीक नहीं हैं। उन्हें ये बात कहने में भी शर्म आती है कि वो राजनाथ सिंह के मित्र रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2004 में जब वो सीएम थे तब मिलने गए थे। बड़ी मुश्किल से मिलने का मौका मिला। शंभू के मुताबिक- यहां तो भाई-भाई में नहीं बनती वो तो वैसे भी बनिया बिरादरी के हैं जबकि राजनाथ राजपूत। वो अपनी बिरादरी की बात सुनेंगे कि हमारी। शंभू ने अपनी हालत दिखा कहा कि गांव में हालत देख लो पता चल जाएगा कि लोग किस माहौल में जी रहे हैं। उनका कहना था कि सरकार सबका साथ सबका विकास की बात तो करती है पर असलियत में ये दिखाई नहीं देता।

एक गांव वाले ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह 13 साल बाद चंदौली जिले में अपने पैतृक गांव भभौरा आए थे। इस गांव में न केवल उनका जन्म हुआ, बल्कि यहीं उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी हुई। राजनाथ आखिरी बार 2004 में यहां आए थे। उस वक्त वह अपनी भाभी की तेरहवीं में शामिल होने पहुंचे थे। ग्रामीण का कहना है कि वो लोग उनसे मिलने अक्सर दिल्ली जाते हैं, लेकिन राजनाथ का इस तरफ आना-जाना न के बराबर है। उनका कहना है कि गांव में कोरोना का असर नहीं है। एक अन्य ग्रामीण का कहना था कि उसने अभी वैक्सीन नहीं लगवाई है। रिपोर्टर के सवाल पर वो बचता दिखा।

गांव की एक महिला ने बताया कि उसने भी अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे जान जा सकती है। एक अन्य ग्रामीण का कहना था कि उसे पता चला है कि वैक्सीन लगवाने से जान चली जाती है। कुछ लोगों की मौत की खबर उन्हें लगी है।

उसका कहना है कि कोरोना क्या बला है ये पता ही नहीं लग पा रहा। रिपोर्टर ने जब कहा कि वैक्सीन लगाने की कवायद लोगों की जान तो बचाने की है, लेकिन ग्रामीण फिर भी उनकी बात नहीं सुनता।