कांग्रेस पार्टी में टूट का पुराना इतिहास रहा है और आजादी के कुछ समय बाद ही कांग्रेस में टूट शुरू हो गई थी। दरअसल कुछ समाजवादी नेताओं को आजादी के बाद लगा था कि पंडित नेहरू, महात्मा गांधी के बताए सिद्धांतों से भटक गए हैं, जिसके बाद इन नेताओं ने मिलकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था। इस पार्टी को कांग्रेस से अलग होकर जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे, आचार्य नरेंद्र देव और जेबी कृपलानी जैसे नेताओं ने बनाया था। बता दें कि जिस वक्त जेपी कृपलानी ने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी का गठन किया, उस समय वह कांग्रेस अध्यक्ष थे।
इसके बाद जब पंडित नेहरू के बाद इंदिरा गांधी ने पार्टी की बागडोर संभाली, उस वक्त भी कांग्रेस को विभाजन का सामना करना पड़ा था और पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबू जगजीवन राम ने अपनी अलग पार्टी कांग्रेस (जे) का गठन कर लिया था। साल 1969 में वरिष्ठ नेता मोरारजी देसाई ने भी इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत कर दी थी और के कामराज गुट को ज्वाइन कर लिया था।
साल 1975 में लगी इमरजेंसी के चलते भी कांग्रेस में विभाजन हुआ और कई नेता अलग हो गए। इसी विभाजन से जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसने 1977 के आम चुनावों में जीत दर्ज की और मोरारजी देसाई पीएम बने। इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी को भी इस बगावत का सामना करना पड़ा। राजीव गांधी के कार्यकाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी भी कांग्रेस से अलग हो गए थे। हालांकि बाद में वह फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
राजीव गांधी के करीबी नेताओं में से एक वीपी सिंह ने भी अरुण नेहरु और आरिफ मोहम्मद खान के साथ मिलकर बगावत की और जनता दल का गठन किया। बाद में कांग्रेस के बागी चंद्रशेखर भी जनता दल में शामिल हो गए थे।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी के कार्यकाल में भी कांग्रेस पार्टी को टूट का सामना करना पड़ा। जब 90 के दशक में कांग्रेस ने पीवी नरसिम्हा राव को पीएम बनाया तो शरद पवार और नारायण दत्त तिवारी, ममता बनर्जी जैसे नेता पार्टी से दूर हो गए थे। इनके अलावा माधवराव सिंधिया और अर्जुन सिंह जैसे नेता भी कांग्रेस से दूर हो गए। हालांकि दोनों नेताओं की फिर से पार्टी में वापसी हुई थी।
इसके आंध्र प्रदेश में भी पार्टी को अपने दिग्गज नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद उनके बेटे वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी से बगावत झेलनी पड़ी थी। इसका असर ये हुआ कि जगन मोहन ने अपनी कांग्रेस से टूटकर अलग पार्टी बनायी और अब वह राज्य में सत्ता पर काबिज हैं। इनके अलावा असम में हेमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू, एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से अलग हो चुके हैं। वहीं राजस्थान में अब सचिन पायलट भी उसी राह पर दिखाई दे रहे हैं।